परवेज अख्तर/सिवान: कई दिनों से रुक-रुक कर हो रही वर्षा एवं बराज से पानी छोड़े जाने के कारण सरयू नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। बुधवार को दरौली में सरयू नदी खतरे के निशान से 58 सेमी. ऊपर बह रही थी। दरौली में सरयू नदी का जल स्तर 61.410 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से .58 मीटर ऊपर बह रही थी। यहां खतरे का निशान 60.82 मीटर निर्धारित है। वहीं सिसवन में सरयू नदी खतरे के निशान से .18 सेमी नीचे बह रही हैं। बुधवार की सुबह सिसवन में सरयू नदी का जलस्तर 57.220 मीटर दर्ज किया गया। यहां खतरे का निशान 57.04 निर्धारित किया गया है। इस सरयू नदी के लगातार बढ़ रहे जलस्तर से प्रखंड के करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण ग्यासपुर, तीरबलुआ, बलुआ, खड़ौली, पांडेयपार, मैरीटार, सोनहुला, सोहागरा, श्रीकलपुर, गोहरुआ गांव के सैकड़ों एकड़ भूमि में लगी फसलों को भारी नुकसान की संभावना है। किसानों के समक्ष शौचालय, पीने का पानी, पशुओं के चारा की दिक्कत हो रही है।
लोगों ने बताया कि सरयू के खतरे के निशान पर पानी पहुंचने से करीब डेढ़ सौ परिवार के लोग दियरा से धीरे-धीरे पलायन करना शुरू कर दिए हैं। दियरा से सभी लोग आनाज, कपडे़, पशुओं, कागजात व जरूरी सामान को लेकर वापस लौट रहे हैं। उनका कहना है कि दियरा में जबतक निचले इलाकों में पानी नहीं गया था तब तक वहां रहना सुरक्षित था। ग्रामीणों ने आरोप लगया किआज तक जल संसाधन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने उनकी सुध तक लेना मुनासिब नहीं समझा है। मौके पर बलराम राजभर, रामकिशुन, फुलेना, ललन, जवाहिर, मुन्ना, सीताराम, नंदजी, शारदा, धनेश्वर, रामचीज, प्रभु, वीरबहादुर, भीम आदि मौजूद थे। वहीं बाढ़ विभाग के एसडीओ चंद्रमोहन झा ने बताया कि सरयू और गंडक नदी के जलस्तर बढ़ने से इस तरह के हालत उत्पन्न हुए हैं। दशहरा के बाद ऐसी स्थिति बहुत ही कम होती है। विभाग स्थिति पर नजर रखे हुए है। वहीं सीओ शंभूनाथ राम ने बताया कि गोगरा तटबंध का निरीक्षण किया स्थिति काफी नियंत्रण में है।