सिसवन में हनुमानगढ़ी महंत की हत्या कांड से उठा पर्दा, महंत नहीं बनाने से नाराज शिष्य ने ही कर दी हत्या,

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परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के सिसवन थाना क्षेत्र के चैनपुर ओपी अंतर्गत रामगढ़ पंचायत के ऐतिहासिक बाबा महेंद्र धाम के हनुमानगढ़ी के साधु योगिन्दर दास शुक्ला उर्फ शुक्ला बाबा के हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा लिया है।शुक्ल बाबा हत्या मामले पुलिस ने बाबा के दो शिष्यों रसूलपुर थाना क्षेत्र के लौवारी गांव निवासी कमल चौबे के पुत्र धनंजय चौबे एवं मांझी थाना क्षेत्र के महमदपुर भाठा गांव निवासी बबन मिश्रा के पुत्र रामजी मिश्रा को घटना का आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया है। सूत्र की माने तो धनंजय चौबे शुक्ला बाबा पर लगभग दस साल से महन्थ बनाने के लिए दबाव डाल रहा था लेकिन शुक्ला बाबा द्वारा महन्थ बनाने को लेकर आनाकानी की जा रही थी।इस को लेकर धनंजय और शुक्ला बाबा में अक्सर झगड़ा हुआ करता था।

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हत्या के दिन भी शुक्ला बाबा और धनंजय मिश्रा के बीच जमकर हंगामा हुआ था उसके बाद उसके बाद धनंजय ने रामजी मिश्रा से मिलकर शुक्ला बाबा को जान से मारने की योजना बनाई ।तथा उन लोगों ने मिलकर बुधवार की देर रात करीब 8:30 बजे ही घटना को अंजाम दे दिया था।शुक्ला बाबा की हत्या करते समय रामजी मिश्रा ने शुक्ला बाबा का पैर पकड़ लिया तथा धनंजय मिश्रा ने शुक्ला बाबा के सिर पर पत्थर से वार किया जिससे शुक्ला बाबा की मौत घटना स्थल पर ही हो गई ।उसके बाद दोनों ने पुलिस को गुमराह करने के मंदिर की छोटी छोटी मूर्तियों को तितर-बितर फेंक दिया जिससे यह घटना चोरी की साबित हो सके। घटना को अंजाम देने के बाद रामजी मिश्रा मेहंदार के मंहत के यहां सोने चला गया तथा धनंजय चौबे अपने घर सोने चला गया। गुरुवार की सुबह रामजी मिश्रा मंदिर आकर शुक्ला बाबा को खोजा का नाटक किया,फिर शुक्ला बाबा की मंदिर में चोरी कर हत्या होने की सूचना ग्रामीणों को दी। बताया जाता है कि रसूलपुर थाना क्षेत्र के लौवारी गांव निवासी धनंजय मिश्रा शुक्ला बाबा के पास 10 सालों से था तथा लगातार महंत बनने के लिए बाबा से झगड़ा किया किया करता था।

सूत्रों की माने तो धनंजय को हमेशा महंत बनने की मन में चाहती थी ।और लगातार वह बाबा से कहा करता था कि बाबा अपने जीते जी हमें मंदिर का महंत बना दें आप के मर जाने के बाद लोग यहां पर हमें महंत नहीं बनने देंगे लेकिन शुक्ला बाबा अक्सर उसके बातों को टाल दिया करते थे। दोनों ने पुछताछ के दौरान बताया कि मंदिर से कोई मुर्ति चोरी नहीं हुई थी और नहीं पुजारी का कोई सामान चोरी हुआ था।मुर्ति तथा पुजारी के कमरे का सामान इधर उधर जान बुझकर बिखरे दी थी ताकि पुलिस गुमराह हो जाय कि चोरी के दौरान पुजारी कि हत्या हुई हैं। उसके बाद रामजी मिश्रा द्वारा ग्यारह मुर्ति एवं चोरी की अफवाह उड़ा दी बताया जाता है कि घटना को अंजाम देने के बाद दोनों ने मंदिर का ताला बंद कर दिया था तथा सुबह जाकर खुद तलाक रामजी मिश्रा द्वारा खोला गया था तथा ग्रामीणों को गुमराह करने के लिए रामजी मिश्रा द्वारा बताया गया कि मंदिर का ताला टूटा है तथा मंदिर में चोरी हुई है।