- दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य करना है लक्ष्य
- अंतर्विभागीय समन्वय और सहयोग से पखवाड़े को सफल करने के निर्देश
- राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर दिया निर्देश
छपरा: दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से राज्य में सघन दस्त नियंत्रण पखवारा का आयोजन किया जाएगा। वर्तमान में कोविड-19 महामारी की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए पखवाड़े का आयोजन 16 से 29 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में बताया गया है कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि कार्यक्रम के अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियों का सूक्ष्म कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण किया जाए । डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया के रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जायेगा।
लक्षित लाभार्थी
- समस्त पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे
- पांच वर्ष की उम्र तक के समस्त बच्चे जो पखवाड़े के दौरान दस्तरोग से ग्रसित हों
इन क्षेत्र पर दिया जायेगा विशेष जोर
पखवाड़ा के दौरान कुछ विशेष क्षेत्रों में अभियान पर अधिक बल दिया जायेगा। जैसे- उपकेंद्र जहां पर एएनएम न हो अथवा लंबी छूटी पर हो, सफाई की कमी वाले स्थानों पर निवास करने वाली जनसंख्या क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र- शहरी, झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिन्हित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों। छोटे गांव, टोला, बस्ती, कस्बे जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी हो।
समुदायिक व गांव स्तर पर होगी गतिविधि
आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया जायेगा। जिसमें पाचं वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी जायेगी। माईक्रोप्लान की समीक्षा संबंधित नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिंग कमिटी द्वारा की जाएगी। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जायेगा। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा द्वारा नान- कंटेनमेंट जोन के घरों में ओआरएस का वितरण किया जायेगा। कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।
परिवार के सदस्यों की होगी काउंसलिंग
आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जायेगी। इसक साथ हीं परिवार को इन बिन्दुओं पर परामर्श दी जायेगी।
- जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यकत रूप से काराया जाये। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये
- जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
- दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भेजन जारी रखा जाये
- उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
- पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें
- खाना बनाने एवं खाना खाने से पर्वू और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
- डारिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
- बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये
- दस्त का फैलने से रोकने के लिए शौचालय का प्रयोग करना चाहिए
ये लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जायें
- बच्चा ज्यादा बीमार लग रहा हो
- पानी जैसा लगातार दस्त का हो रहा हो
- बार-बार उल्टी हो रहा हो
- अत्याधिक प्यास लग रहा हो
- पानी न पी पाना
- बुखार होना
- मल में खून आ रहा हो