- 30 लोगों का हुआ सैंपल संग्रह
- टीबी से बचाव एवं उपचार के बारे में किया गया जागरूक
- टीबी मरीजों की खोज के लिए जिले में चल रहा है विशेष अभियान
सिवान: जिले में “टीबी हारेगा, देश जीतेगा” अभियान के तहत टीबी मरीजों की खोज के लिए विशेष कैंपेन चलाया जा रहा है। जिसके तहत टीबी के नये मरीजों की पहचान लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर भ्रमण कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के टीम के द्वारा कैंप लगाया जा रहा है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सिवान जेल कैंपस में विशेष कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें करीब अधिकतर व्यक्तियों का टीबी की स्क्रिनिंग की गयी। वहीं 30 लोगों का टीबी जांच के लिए सैंपल लिया गया। इसके साथ सभी को टीबी पर जागरूक किया गया। सीडीओ डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि टीबी संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है। टीबी के अनियमित एवं अधूरे इलाज के कारण ड्रग रेजिस्टेट टीबी हो जाती है। वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है परंतु वैश्विक महामारी कोरोना काल में यक्ष्मा कर्मियों को कोरोना ड्यूटी में लगाए जाने के कारण गत वर्ष की अपेक्षा 21 फीसद कम टीबी मरीज चिह्नित किए जा सके। इसको गति देने के लिए भारत सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव द्वारा माह जनवरी 2021 में टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत टीबी मरीजों को चिह्नित करने को लेकर सघन खोजी कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
लक्षण हों तो जरूर कराएं जांच:
टीबी एचआईवी समन्वयक दिलीप कुमार ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराए। जांच व उपचार बिल्कुल मुफ्त है। मरीज को इलाज की अवधि तक 500 रुपये प्रतिमाह पोषण राशि दी जाती है।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य:
सीडीओ डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन की तैयारी कर रखी है। इस और लगातार काम किए जा रहे हैं। टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान इसी का एक चरण है। इसके तहत टीबी के नए रोगियों की पहचान करना, उन्हें सरकारी दवाओं से जोड़ना मरीजों को ठीक करना और जागरूक करना लक्ष्य है।
मरीजों को मिलेंगे 500 रुपए:
नई मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपए प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह 500 रुपए पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जाएगा। एक मरीज को 8 महीने तक दवा चलती है, इस 8 महीने तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपए दिए जाएंगे। मरीज के ठीक होने के बाद यह राशि बंद कर दी जाएगी।