घटना को लीपापोती करने में जुटा है पुलिस
परवेज़ अख्तर/सिवान:- जिले के जीरादेई थाना के चांदपाली गांव में 16 अप्रैल को दो युवकों के मामूली विवाद में चली गोली का मामला अब पेचीदा होते जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में दो दिन पूर्व जब्त किए गए राइफल को स्थानीय थाना द्वारा अभी तक पुलिस लाइन में मेजर के पास जांच के लिए नहीं भेजा गया है। जिससे मामले के उद्भेदन में देरी होना स्वभाविक होने लगा है। इधर मामले में एसपी ने स्थानीय थानाध्यक्ष को अपने बयान पर ही एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था लेकिन सूचना यह है कि थाना द्वारा सिर्फ नोटिस भेजने की ही कार्रवाई की गई है। पुलिस की इस सुस्त जांच से यह साफ होने लगा है कि स्थानीय पुलिस मामले को गंभीरता से ना लेकर इसमें ढुलमुल रवैया अपना रही है। जिससे जांच प्रभावित होगी। सार्जेंट मेजर कल्पनाथ सिंह ने बताया कि अभी तक जीरादेई थाना से जांच के लिए कोई हथियार नहीं आया है। ऐसे में अब यह मामला पूरी तरह से पुलिस की लापरवाही के कारण बीच मझदार में पड़ा हुआ है।
16 अप्रैल को हुई थी घटना
बता दें कि विगत 16 अप्रैल को चांदपाली गांव निवासी मो. ईशा के पुत्र मो. बिट्टू ने मामूली विवाद को लेकर पड़ोस के रमजान अली उर्फ मुन्ना मियां के पुत्र मो. झुनझुन को लाइसेंसी राइफल से गोली मार कर घायल कर दिया था। घायल का जब इलाज सदर अस्पताल में चल रहा था तो उसने पुलिस को अपने फर्द बयान में पटाखे से घायल होने की बात कही थी। मामले में जब किसी की तरफ से एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई तो एसपी ने इस मामले में थानाध्यक्ष को अपने स्तर से एक प्राथमिकी दर्ज कर हथियार को जब्त करने का आदेश दिया। मामले में स्थानीय थाना ने हल्का चौकीदार लालबाबू गिरि से नोटिस तामिला करा हथियार को थाने में जमा कराया था।
जख्म प्रतिवेदन भेजने में क्यों हो रही देरी
इस मामले में पुलिस के अनुसार अभी तक चिकित्सकों की टीम द्वारा जख्म प्रतिवेदन नहीं भेजा गया है। जिस कारण प्राथमिकी की कार्रवाई नहीं हो सकी है। ऐसे में घटना के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी जख्म प्रतिवेदन चिकित्सक द्वारा थाना को नहीं दिया जाना समझ से परे है । उधर पुलिस का कहना है कि आए दिन जख्म प्रतिवेदन को प्राप्त करने के लिए सदर अस्पताल जाया जा रहा है लेकिन चिकित्सकों के द्वारा जख्म प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उधर विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पुलिस से ज्यादा परिजन जख्म प्रतिवेदन को लेने के लिए बेचैन हैं। सूत्रों का कहना है कि घायल ने दबाव में आकर अपना बयान बदल दिया है। लाइसेंसधारी को यह डर है कि पुलिस को अगर सही जख्म प्रतिवेदन मिल जाता है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
लाइसेंस रद की चिंता से हैं लाइसेंसधारी परेशान
लाइसेंधारी मो. ईशा को राइफल थाने में जमा करने के बाद लाइसेंस रद होने की चिंता सता रही है। परिजन एवं लाइसेंस धारी जख्म प्रतिवेदन को पाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। उधर घटना के दिन इलाज कर रहे है डॉक्टर का बयान था कि घायल के शरीर से गोली के निशान है लेकिन गोली जख्म करते हुए बाहर निकल गई है। इस बयान के बाद से ही लाइसेंसधारी के परिजन परेशान हैं।