परवेज अख्तर/सिवान: जिले के जीरादेई प्रखंड क्षेत्र के तितिर स्तूप सोमवार को अध्ययन करने के लिए बोधगया, महाराष्ट्र एवं गुजरात से छात्र पहुंच भ्रमण कर रहे हैं। सर्वप्रथम छात्रों ने अपनी यात्रा का आरंभ तितिर स्तूप स्थित बौद्ध मंदिर में पूजा अर्चना से की। इसके बाद मुइयागढ़, भरथुईगढ़, मल्लों श्मशान, देवा, बेलही, नाथ संप्रदाय का मंदिर, हिरण्यवती नदी, किसुनपुर से द्रोण स्तूप दोन तक की यात्रा की जहां तारा देवी की प्रतिमा आज भी विद्यमान है। शोधार्थी दल का नेतृत्व कर रहे प्रिंस बुद्ध मित्र ने बताया कि चीन तीर्थ यात्रियों ने जिन-जिन स्थानों का उल्लेख तितिर स्तूप के क्षेत्रों का किया है वो सारे स्थल आज भी विद्यमान है तथा इन स्थानों पर प्रचुर मात्रा में मौर्य, कुषाण व गुप्ता काल के पुरातात्विक साक्ष्य दिख रहे हैं।
पुष्प मित्र ने बताया कि यहां पर विद्यमान नदी व भौगोलिक स्थल अति प्राचीनता का भान कराता है जो भारतीय पुरातत्व विभाग के परीक्षण उत्खनन से भी स्पष्ट हो गया। सागर कामले ने बताया कि तितिर स्तूप पर ध्यान एवं साधना करने पर अद्भुत शांति का अनुभूति होता है। उन्होंने बताया कि ह्वेनसांग ने वर्णन किया है कि प्राचीन कुसीनारा में एक कुइयां नगर था तथा आज भी यहां मुइयां नगर होना तथा यहां के ऊपरी सतह में ही एनबीपी डब्लू का मिलना ऐतिहासिक बहस का विषय बन जाता है। शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि तितिर स्तूप का क्षेत्र पुरातात्विक छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण व ज्ञानवर्धक है जो इतिहास की नवीनतम जानकारी देता है। इस मौके पर रजनीश कुमार मौर्य मनोज गजभरे, मिलिंद सोनी,जफर इमाम आदि उपस्थित थे।