परवेज अख्तर/सिवान: कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन के लगभग एक माह बाद बाजार तो खुल गए, लेकिन व्यापारियों की समस्याएं अब भी लॉक हैं. जीएसटी, आयकर, बिजली बिल में राहत नहीं मिलने और ट्रांसपोर्ट के बढ़ते भाड़े, दुकानों का किराया, कर्मचारियों का वेतन और छोटे-छोटे व्यापारियों के यहां पूंजी फंसने और नए माल मंगाने में आ रही आर्थिक दिक्कतों से कारोबारी परेशान हैं. व्यापारियों के अनुसार इलेक्ट्रानिक्स, फर्नीचर, फुटवियर, कपड़े आदि दुकानों की बोहनी तक नहीं हो रही है. बाजार में ग्राहकों के पास भी पैसा नहीं है. लोग इस समय सिर्फ जरूरत के अनाज, सब्जी, दूध और दवा जैसी वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं. पहली और दूसरी लहर में तबाह हो चुके कई व्यापारियों की नजरें अब सरकार से मिलने वाली राहत पैकेज पर टिकी हुई हैं. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के व्यापारियों की मांग है कि सरकार राहत पैकेज दें. अन्यथा रोजगार बदलने तक की नौबत आ गई है. व्यापारी विनोद प्रसाद ने बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में व्यापारी टूट चुके हैं.
भविष्य में भी व्यापार सुधरने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. ऐसे में सरकार की ओर से व्यापारियों को कुछ रियायतें मिलनी चाहिए. बाजार में दम नहीं है. व्यापारी बैठकर सिर्फ ग्राहकों का इंतजार कर रहे है. लकड़ी व्यवसायी विजय गिरि ने बताया कि जीएसटी, बैंक ब्याज, बिजली बिल व आयकर में कोई राहत नहीं मिली. सरकार छह माह जीएसटी पर छूट दें. बैंक ब्याज माफ करें, रियायती दर पर लोन दें. किराना व्यापारी सखिचन्द प्रसाद ने कहा कि शादी और विवाह में अतिथियों की संख्या सीमित होने से दूसरी लहर में भी किराना बाजार की रौनक खत्म हो गई. वैवाहिक लग्न को देखते हुए व्यापारियों ने माल तो मंगा लिया था. लेकिन बिक्री नहीं हो सकी. गोदाम का खर्च, दुकान का खर्च अलग से दिया जा रहा है. अनलॉक के बाद बाजार फिर से गुलजार हो गए हैं. सभी दुकानें भी खुलने लगी हैं. बाजार में भीड़ है. लेकिन बुनियादी समान को छोड़कर अन्य की बिक्री नहीं हो रही है. वही सड़कों और बाजारों में पहले की तरह लोगों की भीड़ भी जमा होने लगी है. अचानक बाजार खुलने की वजह से यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई. जिससे व्यापारियों को संक्रमण का भय सता रहा है.