परवेज अख्तर/सिवान: जिले के जीरादेई प्रखंड के भरौली मठ परिसर में चल रहे सीताराम महायज्ञ के पांचवें दिन सोमवार को पूजा अर्चना व प्रवचन सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रवचन के दौरान कथावाचक आचार्य अरविंद ने कहा कि नीति, न्याय और नेतृत्व का चरमोत्कर्ष भगवान राम भारत में राम एक ऐसा नाम है जो अभिवादन या नमस्कार का पर्यायवाची है। हिमालय से कन्या कुमारी तक ही नहीं अपितु सुदूर पूर्व के कई देशों में भी राम और रामायण असाधारण श्रद्धा के केंद्र है। उन्होंने कहा कि राम प्रतिनिधित्व करते हैं मानवीय मूल्यों की मर्यादा का। आचार्य ने भगवान राम का चित्रण एक मनुष्य के रूप में ही किया जो समाज की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता है और अनेक प्रकार के कष्ट सहन करता है।
उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे राज्याभिषेक के समाचार से प्रसन्न नहीं होते और वनवास के दुःख का उन पर लेशमात्र भी प्रभाव नहीं है। सारा पराक्रम स्वयं का है, लेकिन वे इसका श्रेय अनुज लक्ष्मण को व वानरों और अपनी सेना को देते हैं। कुलीन होने के बाद भी शबरी, निषाद, केवट से अगाध प्रेम है। राम जाति वर्ग से परे हैं। नर हो या वानर, मानव हो या दानव सभी से उनका करीबी रिश्ता है। आचार्य ने बताया कि क्षमाशील इतने हैं कि राक्षसों को भी मुक्ति देने में तत्पर हैं। वे यह सिखाते हैं कि बिना छल-कपट के मानव अपना जीवन यापन ही नहीं कर सकता अपितु ईश्वरत्व को भी प्राप्त कर सकता है। इस मौके पर गुरु रामनारायण दास महाराज, त्रिभुवन शाही, नन्हें सिंह, मुखिया नागेंद्र सिंह, नंदू राय आदि उपस्थित थे।