कोविड-19 से होगा बुजुर्गों का बचाव, मील का पत्थर साबित होगा “सुरक्षित दादा – दादी, नाना – नानी अभियान”

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  • पीरामल फाउंडेशन द्वारा चलाया जा रहा अभियान
  • कॉल कर परिवार वालों से बुजुर्गों की सेहत की ली जा रही जानकारी
  • 1 लाख लोगों तक पहुंचने का रखा गया है लक्ष्य
  • चार स्तर पर बुजुर्गों को लाभ पहुँचाने की पहल

बेगूसराय : कोरोना के बढ़ते संक्रमण एवं सटीक उपचार के आभाव ने समुदाय के कुछ विशेष वर्गों के लिए स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ा दिया है. जिसमें बुजुर्गों के संक्रमित होने पर अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने की की पुष्टि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अन्य रिसर्च संस्थानों के द्वारा पूर्व में ही की गयी है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार बुजुर्गों को कोविड-19 संक्रमण होने से सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में परिवार के बुजुर्गों को कोरोना से सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार के साथ परिवार के लिए बढ़ गयी है. इसे ध्यान में रखते हुए पीरामल फाउंडेशन ने परिवार के बुजुर्गों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से “सुरक्षित दादा – दादी, नाना – नानी अभियान” की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत परिवारों को कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी और संभावित मदद दी जा रही है। समुदाय में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को संक्रमण से बचाने की दिशा में यह अभियान मील का पत्थर साबित होगा.

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नीति आयोग के द्वारा पीरामल फाउंडेशन के साथ की गयी शुरुआत

पीरामल फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रोबिन राज हंस ने बताया “सुरक्षित दादा – दादी, नाना – नानी अभियान” की शुरुआत 5 मई को नीति आयोग के द्वारा पीरामल फाउंडेशन के साथ मिलकर की गई. जिसमें बेगूसराय सहित राज्य के 27 जिले शामिल हैं. जिलाधिकारी के नेतृत्व में चल रहे आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत इस अभियान की शुरुआत की गयी है. कोराना वायरस बुजुर्गों में अपना असर जल्दी दिखाता है. इसलिए इस अभियान को बुजुर्गों के लिए खास तौर पर चलाया जा रहा है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण से बुजुर्गों को सुरक्षित रखना है एवं इसके लिए बुजुर्गों की हर संभव मदद करनी है.

1 लाख लोगों तक पहुंचने का रखा गया है लक्ष्य

रोबिन राज हंस ने बताया पीरामल फाउंडेशन पिछले 2 वर्षों से आकांक्षी जिला कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत से कार्यों को संपादित कर रहा है. बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम जाती है एवं इस लिहाज से सुरक्षित दादा दादी नाना नानी अभियान की शुरुआत ख़ास कर बुजुर्गो को ध्यान में रख कर की गयी है. अभियान को सफल बनाने के लिए जिले मे 550 स्वयं सेवकों को तैयार किया गया है. ये वॉलंटियर हर घर में फोन कर उनके परिवार में बुजुर्गों की सेहत की जानकारी लेते हैं. साथ ही उन्हें कोरोना की बचाव एवं रोकथाम के विषय में विस्तार से जानकारी भी देते हैं. उन्होंने बताया कि इस अभियान की सफलता के मद्देनजर जिले में 1 लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें अभी तक 3500 से ज्यादा लोगो से बात हो चुकी है.

चार स्तर पर बुजुर्गों को लाभ पहुँचाने की पहल

पीरामल फाउंडेशन के प्रोग्राम लीडर राकेश कुमार ने बताया इस अभियान के तहत पर चार स्तर पर बुजुर्गों को लाभ पहुँचाने की कोशिश की जा रही है. जिसमें वॉलंटियर पहले तो बुजुर्गों को कॉल कर कोरोना से बचाव की जानकारी देते हैं. यदि किसी बुजुर्ग को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से समन्वय स्थापित कर उनके उपचार की व्यवस्था भी करते हैं. साथ ही यदि बुजुर्ग को खाद्य सामग्री की कमी होती है तो जिले के पीडीएस ईकाई से समन्वय स्थापित कर उनकी मदद की जाती है. इसके अलावा किसी बुजुर्ग को मदद की आवश्यकता होने पर पंचायत के मुखिया या जनप्रतिनिधि से सहायता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अभियान में फाउंडेशन की टीम तथा सभी स्वयं सेवक साथी मिलकर लोगों की सहायता कर रहे हैं। राकेश कुमार ने कोरोना संकटकाल में किसी भी स्वयंसेवी संस्था या समाजसेवी दवाई, भोजन का सहयोग देकर बुजुर्गों की मदद करने की भी अपील की.