पटना: बिहार के मुख्यमंत्री विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं….उनका कहना है कि बिहार गरीब राज्य है…पर उनके चहेते अफसर अपने चैंबर के रंग-रोगन के लिए 50 लाख खर्च कर लेते हैं….ऐसे में लोग कैसे माने कि बिहार गरीब राज्य है… सुशासन राज के अफसर अपने चैंबर के साज-सज्जा पर पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। इस खबर के सामने आने के बाद मुख्य विपक्षी दल राजद ने सीधे सीएम नीतीश कुमार को घेरा है। राजद ने चैंबर पर पानी की तरह पैसा बहाने वाले अफसर को प्रिय अधिकारी करार दिया है।
राजद ने अपने ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते है कि बिहार गरीब राज्य है . इसी से प्रेरणा लेते हुए उनके प्रिय अधिकारी अपना चैंबर सजाने पर गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का 50 लाख रुपया पानी की तरह बहा देते हैं। ये अधिकारी कई जिम्मा संभाल रहे हैं. इसलिए इनके पास कई चैंबर भी है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में विकास भवन स्थित नगर विकास एवं आवास विभाग के कमरा संख्या 119A का जीर्णोद्धार किया गया एक कमरे के मेंटेनेंस में 47 लाख 22653 रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी। यह स्वीकृति 11 जून 2020 को दी गई। इस वित्तीय वर्ष में 47 लाख रुपए में सरकार ने 19 लाख 22653 की राशि स्वीकृत कर दी है. इसके बाद भी28 लाख रुपए शेष रह गया है. नगर विकास विभाग के विशेष सचिव सतीश कुमार सिंह ने महालेखाकार को पत्र लिखा है।
महालेखाकार को भेजे गए पत्र में विशेष सचिव ने कहा है कि विकास भवन स्थित नगर विकास एवं आवास विभाग के कमरा संख्या 119ए के जीर्णोद्धार के कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी. केंद्रीय भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने राशि आवंटित करने का अनुरोध किया था. वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 19 लाख 22653 की स्वीकृति प्रदान की गई है. नगर विकास विभाग के कमरा संख्या 119A के जीर्णोद्धार पर जो 47 लाख से अधिक रुपए खर्च हुए हैं उसमें फर्नीचर वर्क पर 1271000 रू की स्वीकृति दी गई। वहीं सिविल वर्क पर 11 लाख 60,200 रू जबकि बिजली एवं एसी वर्क पर 6 लाख 74500 रू,partition work पर 14 लाख 79400 एवं कंसल्टेंसी व GST में 1 लाख 37हजार 553 रु का बजट है। बता दें, पटना के पानी में डूबोने के आरोप में सीएम नीतीश कुमार ने तत्कालीन प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद को हटा दिया था। इसके बाद आनंद किशोर को नगर विकास विभाग के सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी। पहले वाले प्रधान सचिव पुराने चैंबर से ही काम करते रहे। लेकिन आनंद किशोर के प्रधान सचिव बनने के बाद कमरा संख्या-119ए में 47 लाख रुपया से साज-सज्जा व जीर्णोद्धार किया गया।
जानकार बताते हैं कि नगर विकास विभाग के जिस कमरे पर इतनी राशि खर्च की गई है वो सीएम के चहेते अफसर हैं. बताया जाता है कि उतना बड़ा चैंबर पूरे सचिवालय में किसी अफसर का नहीं है। यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार का भी उतना बड़ा चैंबर नहीं। जब एक अफसर के कक्ष पर जनता की कमाई की इतनी बड़ी राशि खर्च की जा सकती है तो फिर बिहार गरीब राज्य कैसे है?