परवेज अख्तर/सिवान: उत्तर बिहार का प्रसिद्ध मौनिया बाबा मेला के 100 वर्ष पूरा हो होने के बावजूद भी इसे राजकीय मेला घोषित नहीं किया गया। राजकीय मेला घोषित करने के लिए तत्कालीन उद्योग मंत्री वैद्यनाथ पांडेय, तत्कालीन मंत्री व्यासदेव प्रसाद, तत्कालीन सांसद, विधायक ने भी घोषणा की थी, लेकिन आजतक इस मेला को राजकीय मेला घोषित नहीं किया गया। इस मेला को राजकीय मेला घोषित करने के लिए मेला प्रबंधन समिति ने भी कई बार जिला पदाधिकारी को आवेदन भी सौंपा। जिला से सरकार को पत्र भी भेजा गया। फिर भी इसे राजकीय मेला का दर्जा नहीं मिल पाया। प्रबंधन समिति के सदस्य प्रो. अभय कुमार सिंह, प्रो. सुबोध सिंह, ई. अशोक गुप्ता, रामाशंकर प्रसाद, शक्ति शरण, नागमणि सिंह, प्रकाश सिंह पप्पू, संजय सिंह आदि का कहना है कि यह मेला उत्तर बिहार का प्रसिद्ध मेला है।
इसे हर हाल में राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त होना चाहिए, लेकिन कौन सी समस्या है कि आजतक इसे दर्जा नहीं मिल पाई। यह मेला 1923 से प्रत्येक वर्ष भादो मास के चतुर्दशी को लगता है। यह मेला एक माह तक चलता है। इस मेला को देखने के लिए उतर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, पश्चिम बंगाल से लोग पहुंचते हैं। मेला में करीब 32 शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से अखाड़ों का प्रदर्शन किया जाता है। उसके दूसरे दिन शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से 32 अखाड़ों का प्रदर्शन होता है। मेला में विधि व्यवस्था के लिए काफी संख्या में महिला, पुरुष पुलिस बल, अर्द्धसैनिक बल, घुड़सवार बलों की तैनाती की जाती है। इस मौके पर सांसद, विधायक, डीएम, एसपी, एसडीओ, एसडीपीओ समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहते हैं।