भारत रत्न की मांग को ले प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से करेंगे मांग
✍️परवेज अख्तर/सिवान: जिले के महाराजगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मैरेज हाल में शनिवार को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केसरी कृष्ण सिंह की 136वीं जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि 1887 में कृष्ण सिंह अवतरित हुए थे। उन्होंने कहा कि श्री बाबू आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने दक्षिण से उत्तर तक कई कल-कारखानों को खोलने का काम किया। बाबू अपनों की चिंता न करके बिहार की चिंता किया करते थे। समाज के लिए जो मरता है समाज उसको याद करता है। कोई भी पुत्र अपने पिता को नहीं भुलता। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने समाज के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया आज उसको याद नहीं किया जा रहा है। यह बहुत दुखद है। बाबू के सपना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साकार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इतने महान व्यक्ति के गांव की हालत बहुत खराब है। कोई सोचने वाला नहीं है। वहीं सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि कृष्ण बाबू बहुत बड़ा महर्षि थे। वे एक जाति विशेष के नहीं थेा वे सभी के लिए थे। उन्होंने देश स्तर पर काम किया। वे हमेशा बिहार के विकास के बारे में सोचते थे। उन्होंने लोगाें को राेजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कारखाना लगाने का काम किया था। सांसद ने कहा कि हमलोगों को उनके पदचिह्न पर चलना चाहिए। उन्होंने आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई दी। सांसद ने कहा कि बाबू को भारत रत्न देने के लिए लोकसभा से लेकर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से मिलकर मांग करेंगे। समारोह में सर्वप्रथम अतिथियों ने कृष्ण के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
समिति के सदस्यों ने आगत अतिथियों को अंगवस्त्र, बुके देकर सम्मानित किया। समारोह में स्वागत गाना गायकार मनन मधुकर ने प्रस्तुत किया। मंच संचालन डा. त्रिपुरारी शरण सिंह ने किया। समारोह को विधायक देवेशकांत सिंह, पूर्व मंत्री डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक डा. देवरंजन सिंह, पूर्व एमएलसी कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, छपरा जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रियंका सिंह,प्रो. अभय कुमार सिंह, वीरेंद्र ओझा, सुप्रिया जायसवाल ने भी संबोधित किया। वहीं अफराद से लेकर महाराजगंज तक दर्जनों जगह प्रतिपक्ष के नेता व सांसद का बैंड बाजा, फूल माला के साथ स्वागत किया गया। जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे।