परवेज अख्तर/सिवान: माले कार्यकर्ताओं ने बुधवार को मार्च निकाला कर पुतला दहन किया. यह मार्च शहर के गोपालगंज मोड़ से निकाला कर सभी चौक होते हुए जेपी चौक पर पहुंचा जहां नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया. पुतला दहन के बाद सभा को संबोंधित करते हुए आइसा जिलाध्यक्ष विकास यादव ने कहा कि विधानसभा सदन पर ही आज पुलिस राज कानून का पहला प्रयोग किया गया. संविधान और संसदीय प्रणाली के तमाम नियमों और परंपराओं को कुचल कर और विपक्ष को पीट-पीट कर सदन से बाहर कर सरकार ने बिहार को पुलिस राज में बदलने का काला कानून पारित कर दिया. सदन शुरू होने के साथ ही पुलिस राज विधेयक के खिलाफ विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया. विरोध के कारण कई बार सदन स्थगित हुआ. दिन भर सदन बाधित रहा. 5 बजे सदन खत्म होने से पहले विधान सभाध्यक्ष और सरकार के आदेश से विधान सभा सदन में बड़ी संख्या में रैपिड एक्शन फोर्स और पुलिस को बुला लिया गया.
मार्शल तो पहले से थे ही खुद बिहार के डीजीपी, पटना के सीनियर एसपी और डीएम की संयुक्त देखरेख में विधायकों को मारते – पीटते सदन से जबरन खींच कर बाहर कर दिया गया. पूरा सदन पुलिस से भरकर विपक्ष की संपूर्ण अनुपस्थिति में पुलिस राज कानून पारित कर दिया गया. हमारी पार्टी के विधायक दल नेता महबूब आलम का बांह मरोड़ दिया गया और सुदामा प्रसाद को धक्का देकर बाहर कर दिया गया. वे सीढ़ियों से नीचे गिर पड़े जिससे एक उंगली में काफी चोट आई है. सीपीएम के विधायक पिटाई से बेहोश हो गए.
मारपीट में कुछ सादी वर्दी में भी लोग थे. अतीत में विधायकों के बीच आपसी झड़प हुई है, लेकिन भारतीय संसदीय इतिहास की शायद यह पहली घटना है जब सदन के भीतर पुलिस ने विधायकों को पीटा है.सदन में हथियार ले जाना वर्जित है.लेकिन पुलिस हथियारों के साथ भीतर पहुंची थी. अब सदन में बस पुलिस फायरिंग बची है. आज का दिन भारत के संसदीय इतिहास में काला दिन के बतौर दर्ज हो गया. सभा को माले नेता अमित कुमार, जिला कार्यालय सचिव प्रदीप कुशवाहा, गौतम पांडे, सुदामा यादव ने सम्बोधित किया मौके पर सबीर अली, राजकुमार, दीपक कुमार, दयानंद शर्मा आदि दर्जनों लोग मौजूद थे.