परवेज अख्तर/सिवान :- शुक्रवार को अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन एक्वा द्वारा स्वयं सहायता समूह की कर्ज माफी, व जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने को लेकर शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला. इस दौरान सोहिला गुप्ता ने बताया कि कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. इस दौर में गरीबों का रोजगार छिन गया है. खास तौर पर गरीब महिलाओं के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. हमारा कर्ज माफ किया जाए. बिहार के प्राइवेट बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियां महिला समूह बनाकर कर्ज देने और भारी ब्याज समेत किस्त बांधकर वसूली में लगी हैं. यहां महिलाओं को पता भी नहीं होता कि कितना ब्याज लिया जाता जा रहा है. उन्हें एक कर्ज चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेना पड़ता है.
सरकार की घोषित नीति के तहत स्वयं सहायता समूह का गठन महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए है लेकिन यही काम नहीं हो रहा है. ऐसे में छह मांगों को लेकर मार्च निकाला. जिसमें स्वयं सहायता समूह के सभी कर्जे माफ किए जाएं, माइक्रो फाइनेंस कंपनियां और निजी बैंकों द्वारा महिलाओं को दिए गए कार्यों के भुगतान की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाए, स्वयं सहायता समूह की खासियत के आधार पर या उनका क्लस्टर बनाकर रोजगार की व्यवस्था की गारंटी दी जाए, समूह के उत्पादकों की खरीद की गारंटी सरकार द्वारा दी जाए, समूह को ब्याज मुक्त कर्ज देने की व्यवस्था हो, जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 15000 मासिक मानदेय दिया जाए.