सिवान शहर में गुरुवार को समारोहपूर्वक मनी कौमी एकता के प्रतीक मौलाना मजहरुल हक की जयंती

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परवेज अख्तर/सिवान: शहर के दारोगा प्रसाद राय महाविद्यालय परिसर में गुरुवार को कौमी एकता के प्रतीक मौलाना मजहरुल हक की जयंती प्रो. डा. बसंत कुमार की अध्यक्षता में समारोहपूर्वक मनाई गई। कालेज के संस्थापक पूर्व मंत्री सह सदर विधायक अवध बिहारी चौधरी, एमएलसी विरेंद्र नारायण यादव व विधायक हरिशंकर यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर व तैल चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। साथ ही उनके आदर्शों को आत्मसात करने पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान शिक्षाविद्, विद्वानों व वक्ताओं ने मौलाना साहब के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। वहीं पूर्व मंत्री अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि मौलाना साहब के सर्वधर्म समभाव के विचार आज भी प्रासंगिक है। पहले सत्र में ही कौमी एकता के प्रतीक मौलाना मजहरुल हक और आज का राष्ट्रीय परिवेश विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अखिल भारतीय कवि सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो. हारून शैलेंद्र, लीलावती गिरि, भगवानजी दूबे, राजद जिलाध्यक्ष परमात्मा राम, प्राचार्य रामसुंदर चौधरी, प्रो. विरेंद्र कुमार, प्रो. अजीमुल्ला अंसारी, जिला प्रवक्ता उमेश कुमार, जयप्रकाश यादव, सीमा यादव, कृष्णा देवी, करण कुशवाहा, ओसीहर यादव, हरेंद्र सिंह पटेल, परवेज आलम, दारोगा खान, रामसूरत कुशवाहा, अजय तिवारी, बाबुद्दीन आजाद, चंद्रमा राम, उमाचरण कुशवाहा, मोहन शर्मा, इरशाद अली, अश्वथामा यादव समेत अन्य गणमान्य मौजूद थे। पूर्व प्राचार्य सुभाष चंद्र यादव ने अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए स्वागत किया।

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कवि सह मुशायरा में कवियों व शायरों ने अपनी प्रस्तुति से बांधा समां

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे में नामचीन कवियों और शायरों ने अपने कलाम और रचनाओं से लोगों वाह और वाह करने पर मजबूर कर दिया। सभी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से कौमी एकता का संदेश दिया। डा. कलीम कैसर की ‘यारा तेरा बस इतना ही एहसान हमेशा, मिलजुलकर रहे हिन्दू मुसलमान हमेशा’ व ‘खुदा खुदा है मदद को जरूर आएगा, जो सर झुकेगा तो चेहरे पे नूर आएगा’ पर लोगों ने अपनी वाहवाही दी। वहीं नुसरत अतीक की आओ नफरत का हर एक शोला बुझाया जाए, एक नया शहर मोहब्बत का बसाया जाए, डा. निशा राय ने ‘सबब तो कुछ भी नहीं और उदास रहता है।’ ये कैसा दर्द है जो दिल के पास रहता है। जबकि भूषण त्यागी ने ‘मेरे इश्क का फसाना बड़ा खुशगवार होता, जो ना जिंदगी में कोई गमे रोजगार होता’ सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। वहीं संजय मिश्रा, मेराजुद्दीन तिश्न,सुनील कुमार तंग, सुभाष चंद्र यादव समेत अन्य कवियों व शायरों द्वारा प्रस्तुत शेरो शायरी एवं हिन्दी उर्दू कविताओं को श्रोताओं ने खूब सराहा।