परवेज अख्तर/सिवान : जिले के दारौंदा थाना क्षेत्र के जलालपुर चंवर में जहरीले घास चरने से करीब दो सौ भेड़ की हुई मौत मामले में गुरुवार को जांच टीम ने घटनास्थल पर पहुंच कर जांच की। मेडिकल की टीम ने दो मरे हुए भेड़ की पोस्टमार्टम भी कराई। जांच टीम में एसडीपीओ मंजीत कुमार, एएसपी संजय कुमार, डीसीएलआर प्रवीण कुमार, बीडीओ गया रीता कुमारी, दारौंदा के अनि भगवान तिवारी आदि अधिकारी ने स्थिति का जायजा लिया। मेडिकल टीम में दारौंदा भ्रमणशील पशुचिकित्सक संजय कुमार कौशिक एवं महाराजगंज के पशुचिकित्सक के नेतृत्व में भेड़ों का उपचार किया। पोस्टमार्टम के बाद इन भेड़ों के किडनी, लीवर, लंगर एवं हार्ट को निकाला गया। इन्हें सुरक्षित रख लिया गया। इस संबंध में पशुचिकित्सक संजय कुमार कौशिक ने बताया कि भेड़ों के निकाले गए अंगों को दारौंदा पुलिस को सौंपा जाएगा। वे इन अंगों को फॉरेंसिक जांच करने के लिए पटना लेकर जाएंगे। जांच के रिपोर्ट आने के बाद ही सही जानकारी मिलेगी कि भेड़ों की मौत किन कारणों से हुई है। उन्होंने कहा कि आक्टोसीपी नामक घास के नमूना को भी जांच के लिए भेजा जाएगा। पशुपालकों ने बताया कि गुरुवार को भी करीब आधा दर्जन भेड़ों की मौत हो गई। घटना के बाद अफरातफरी मच गई। कई भेड़ों की स्थिति दयनीय अभी भी थी, चिकित्सकों ने बचे एवं बीमार पशुओं को शीघ्र हटवाया। पशुओं को सुरक्षित स्थल पर लेकर चले गए। एसडीओ मंजीत कुमार ने बीडीओ को निर्देश दिया कि जगह-जगह मरे हुए भेड़ों को दफनाएं। अगर इसी तरह चंवर में रहेंगे तो बीमारियां फैलाने की आशंका बनी रहेगी। उन्होंने पशुपालकों से कहा कि सभी पशुओं को इधर चराने नहीं लाएं। विदित हो कि सारण जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र के मोमखोपुर निवासी महेश पाल, शिवनाथ पाल, हरिनाथ पाल, दूधनाथ पाल एवं रामराज पाल मंगलवार की शाम जलालपुर चंवर में घास चराने के बाद छह सौ भेड़ों के साथ शाम हो जाने के चलते वहीं ठहर गए थे। जब सुबह जगे तो करीब दो सौ भेडि़यों की मौत हो गई थी। इस संबंध में दारौंदा के भ्रमणशील पशुचिकित्सक संजय कुमार कौशिक ने बताया कि संभावना है कि इन भेड़ों की मौत जहरीले घास चरने से हुई है। बीमार भेड़ों को गेस्टिना पाउडर एवं हिमालय बतीसा दिया जा रहा है।
एसडीओ के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने की जांच
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