पटना: बिहार में श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी की दर में 15 रुपये तक की रोजाना वृद्धि हो सकती है। आगामी एक अक्तूबर से इस वृद्धि का लाभ बिहार के तीन करोड़ से अधिक मजदूरों को मिल सकेगा। श्रम संसाधन विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। श्रम संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सरकारी कर्मियों को सरकार महंगाई भत्ता देती है। उसी के तर्ज पर उपभोक्ता सूचकांक को आधार बनाकर श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाती है। चूंकि केंद्र व राज्य सरकार ने हाल ही में कर्मियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि की है। इसी के मद्देनजर श्रम संसाधन विभाग ने भी श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है। विभाग की ओर से बनाए जा रहे प्रस्ताव को जल्द ही न्यूनतम मजदूरी परामर्शदात्री समिति को भेजी जाएगी। समिति के प्रमुख विभागीय प्रमुख होते हैं समिति की मंजूरी के बाद विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर न्यूनतम मजदूरी दर में वृद्धि कर दी जाएगी।
वर्गीकरण के आधार पर श्रमिकों को मिलेगा लाभ
विभाग के इस प्रस्ताव में श्रमिकों के वर्गीकरण के अनुसार उन्हें लाभ मिलेगा। बिहार में श्रमिकों का वर्गीकरण चार श्रेणियों में किया गया है। बिना प्रशिक्षण के काम करने वाले श्रमिकों को अकुशल श्रेणी में रखा गया है। बिना प्रशिक्षण के कुछ साल तक काम का अनुभव रखने वाले श्रमिकों को अर्धकुशल की श्रेणी में रखा गया है। जबकि प्रशिक्षित श्रमिकों को कुशल तो प्रशिक्षित की श्रेणी में भी कुछ वर्ष तक काम करने वाले श्रमिकों को अतिकुशल श्रेणी में रखा गया है। इन सभी श्रमिकों की दैनिक न्यूनतम मजदूरी तय है। इससे कम पैसे देने पर सरकार द्वारा संबंधित संस्थानों या व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। वहीं श्रमिकों के काम पर नजर रखने वाले पर्यवक्षेकीय के लिए मासिक राशि तय की जाएगी। न्यूनतम मजदूरी 304 रुपये अभी बिहार में अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 304 रुपये रोजाना है। जबकि अर्धकुशल श्रमिकों को 316 रुपये रोजाना का प्रावधान है। वहीं कुशल श्रमिकों को 385 रुपये रोजाना तो अतिकुशल श्रमिकों को 470 रुपये रोजाना का प्रावधान है। वहीं पर्यवेक्षीय या लिपिकीय काम करने वालों को 8703 रुपये महीना तय है।