पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी सेविकाओं ने घर-घर जाकर की गर्भवतियों महिलाओं की गोदभराई

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  • जिले में मनाया गया गोदभराई उत्सव
  • पोषक क्षेत्र के महिलाओं ने गायी परांपरिक मंगल गीत
  • गर्भवती महिलाओं के देखभाल के प्रति परिवार सदस्यों को किया गया जागरूक
  • पोषण के महत्व पर हुई विशेष चर्चा

सिवान : जिले में 1 से 30 सितंबर तक पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण अभियान के तहत कुपोषण को मिटाने के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ हीं पोषण से संबंधित सेवाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। सोमवार को जिले में गोदभराई उत्सव का आयोजन किया गया। कोविड-19 से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए सेविकाओं ने घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की। मंगल गीतों के साथ गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई है।

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जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे। महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर महिलाओं की गोद भराई की रस्म पूरी की गई। सभी महिलाओं को अच्छे सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही साथ स्तनपान सप्ताह को लेकर भी महिलाओं को जागरूक किया गया। 6 माह तक नवजात शिशुओं सिर्फ स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया गया।

स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को दे सकती है जन्म

डीपीओ प्रतिभा गिरी ने कहा कि गोद भराई रस्म में सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के सम्मान में उसे चुनरी ओढ़ा उसे तिलक लगा कर उनके गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की कामना की गई। साथ ही गर्भवतियों की गोद में पोषण संबंधी पुष्टाहार फल सेव, संतरा, बेदाना, दूध,अंडा डाल सेवन करने का तरीका बताया गया। साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी गई। जिसमें बताया गया कि गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पुष्टाहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।

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पोषण के पांच सूत्रों से लगेगा कुपोषण पर लगाम

डीपीओ प्रतिभा गिरी ने बताया कि कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत पांच सूत्र बताए गए हैं। पहले सुनहरे 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से दो साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है। इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।

पौष्टिक आहार

शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है।

  1. एनीमिया प्रबंधन : गर्भवती माता, किशोरियां व बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को भी प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का सेवन करनी चाहिए। छह माह से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।
  2. डायरिया प्रबंधन :  शिशुओं में डायरिया शिशु मृत्यु का कारण भी है। छह माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान (ऊपर से कुछ भी नहीं) डायरिया से बचाव करता है। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है। डायरिया होने पर लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिन तक जिक देना चाहिए।
  3. स्वच्छता एवं साफ-सफाई : साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है। शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इससे कई रोगों से बचा जा सकता है।