मदर्स डे: जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है

0

कब और क्यों मनाया जाता है मदर्स डे,जानें कैसे हुई थी इस ऐतिहासिक दिन को मनाने की शुरुआत

✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ :
मां…..ये शब्द कहने से ही सबसे बड़ी पूजा हो जाती है और बरसता है भगवान का आशीर्वाद।यूं तो मां से प्यार जाहिर करने के लिए किसी खास वक्त की जरूरत नहीं होती है,लेकिन फिर भी हर साल एक दिन मां के लिए मुकर्रर है,जिसे मदर्स डे कहा जाता है।इस बार ये दिन 09 मई को है।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali
  • लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
  • बस एक मां है, जो कभी खफा नहीं होती

कवि मुनव्वर राना की उपर्युक्त पक्तियों में मां शब्द का पूरा सार ही निहित है।महज इस शब्द में ही हर किसी की तो दुनिया समाई है।

क्यों और कब से शुरु हुई ये परंपरा ?

ऐसा माना जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी।वह भी साल 1912 में जब, एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्त्ता ने अपनी मां के निधन के बाद इस दिन को मनाने की शुरुआत की।खास बात यह है कि पूरे विश्व में मदर्स डे की तारीख को लेकर एक राय नहीं है।भारत में इसे मई के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है,जो इस बार 09 मई को मनाया जा रहा है,तो वहीं बोलीविया में इसे 27 मई को मनाया जाएगा।आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले रही बोलीविया की महिलाओं की हत्या स्पेन की सेना ने इसी तारीख को की थी,जिसके कारण वहां इसी दिन को “मदर्स डे” मनाया जाता है।

मां के प्रति जाहिर करें प्यार

मां का प्यार सागर से गहरा और आसमान से ऊंचा होता है,जिसने मापना,तौलना मुमकिन नहीं।हम खुशनसीब हैं कि हमें वह प्यार मिल रहा है।ऐसे में मां के प्रति अपनी भावनाओं को छिपाने की बजाय खुलकर बताने का ही तो दिन है मदर्स डे ताकि इस भागदौड़,आपाधापी में दो बात हम कहना भूल जाते हैं या कहने से हिचकते हैं,वह कह सकें,तो इस “मदर्स डे” आप भी मां के लिए कर दीजिए खुलकर अपने प्यार का इजहार..क्योंकि……