परवेज़ अख्तर/सिवान :- अश्विन मास की कृष्णपक्ष अष्टमी माताओं ने अपनी संतान की सलामती के लिए जीवित पुत्रिका व्रत का निर्जला उपवास रखा। गुरुवार की शाम में नदी व तालाब में स्नान कर संतान की दीर्घायु, आरोग्य व कल्याण के लिए पूजा-अर्चना की। गुरुवार की अल सुबह व्रती महिलाओं ने सरगही कर जिउतिया व्रत का निर्जला उपवास रखा। पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम में नदी या तालाब में स्नान करने के साथ ही कई महिलाओं ने घर पर भी स्नान कर दान-पुण्य किया। कचनार, गंगपुर, सिसवन, बखरी, मेहंदार में पर भी काफी संख्या में महिलाओं ने स्नान-ध्यान कर दान-पुण्य किया। इस मौके पर मंदिरों में व्रती माताओं ने जिउतिया व्रत की कथा सुनी।
साथ ही अरियार व बरियार के पौधे को गले लगाया। जीतिया व्रत का विशेष पूजन व कथा श्रवण कर माताओं ने अपने पुत्र की उन्नति, शारीरिक निरोगिता, स्वास्थ्य कामना और सौभाग्य कामना के निमित नियम-संयम से श्रद्धापूर्वक पूजा की। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि जिउतिया व्रत पुत्र प्राप्ति व संतान के मंगलमय जीवन के लिए किया जाता है। महिलाएं व्रत के मौके पर दान देकर पितृपक्ष के मध्य में पुत्र की कामना व संतान कुशलता के लिए माताएं जिउतिया का व्रत करती हैं। इधर शुक्रवार को माताएं पारण कर जिउतिया व्रत का समापन करेंगी।