परवेज अख्तर/सिवान: महाराजगंज शहर के मोहन बाजार,काजी बाजार,पुरानी बाजार,काजी बाजार व इन्दौली स्थित इमामबाड़ा पर गुरुवार की रात यादगारे हुसैन नवजवान कमिटी के तत्वाधान मे शहीद-ए-आजम कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना इसरारुल हक ने की जबकि संचालन मो. अफताब आलम ने किया. जलसे को संबोधित करते हुए मौलाना जहांगीर मिस्वाई ने बताया की इमाम हुसैन की शहादत इस्लाम के लिए बड़ी शहादत है और इमाम हुसैन की शहादत से मुसलमानों को इबरत हासिल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हक के लिए इमाम हुसैन ने अपना सर कटा दिया पर भ्रष्टाचारियों के आगे सर नहीं झुकाया. उन्होंने कहा कि सच्चाई और हक पर चलने का नाम हुसैन है. दीन की हिफाजत कर अपने पूरे खानदान की कुर्बानी देकर दुनिया के सामने मिसाल पेश करने वाले का नाम हुसैन है. हम अगर सच्चे हुसैनी है, तो मस्जिदों को अपने सजदों से रौशन करें. इससे हमारी दुनिया और आखरत दोनों संवर जाएगी. करबला की सरजमीं पर दुनियां की बेमिसाल कुर्बानी देने वाले हजरत इमाम हुसैन और अहैले बैत की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह इंसानियत और इंसाफ के पैरोकार थे. हक और सदाकत की राह में अपनी जान का नजराना पेश करने वालों का दुनिया और आखिरात में सिर बुलंद होता है. उन्होंने कहा कि कर्बला के मैदान में दिन को बचाने के लिए 72 अजीजों के साथ इमाम हुसैन कुर्बान हो गए.वहीं काजी बाजार स्थित इमामबाड़ा पर मौलाना इसरारुल हक ने कहा कि इमाम हुसैन की मोहब्बत हजूर की मोहब्बत है जिसने हुसैन से दुश्मनी की उसने हुजूर से दुश्मनी की. वहीं काजी बाजार स्थित इमामबाड़ा पर मौलाना जहांगीर मिस्बाही ने कहा कि हर इंसान दुनिया में कायम रहे इसके लिए भ्रष्टाचारियों को शर्त नहीं मानते हुए इमाम हुसैन ने सब कुछ कुर्बान कर दिया. वे इंसानियत, इमानदारी, सदाचारीता, न्याय को जिंदा रखने के लिए कर्बला के मैदान में अपने खानदान के साथ कुर्बान हो गए. उन्होंने कहा कि अल्लाह की राह में शहीद होने वाले की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि अल्लाह की तरफ से रिज्क पाते हैं. वही शायर अलाउद्दीन साबीर ने नातेपाक के दौरान पढ़ा हुसैन जैसा शहीदे आजम पूरे जहां में नहीं है. मदीने वाले गवाह रहना नमाज मेरी कजा नहीं है. शायर अफताब आलम ने अपने नात- लेके कुरान ने जो आया है कोई और नहीं वो हलीमा का दुलारा है कोई और नहीं.इसके अलावा मो.नईम आदि ने भी अपनी नात पढ़ लोगों को सरावोर कर दिया. कार्यक्रम को सफल बनाने मे सेराज अहमद, अफरोज अनवर,मुराद अहमद, अरबाज, अरमान,आदिल खान,चुन्ना बाबू,वसीम अहमद,सदाम अली आदि की भूमिका सराहनीय रही.
इमाम हुसैन की शहादत के तीजा पर फातेहा
महाराजगंज. शहर के कई मुहर्रम कमेटियों ने गुरुवार को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की तीजा मनाई. इस अवसर पर कुरान ख्वानी, फातेहा ख्वानी और लंगर का आयोजन किया गया. गौरतलब है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद (सअ) के नवासे हजरत इमाम हुसैन की महान शहादत मुहर्रम की दसवीं तारीख को हुई थी. परंपरा के अनुसार कई लोग उनकी शहादत के तीसरे दिन तीजा और कुछ लोग चौथे दिन चहारम और चालीसवें दिन चेहल्लुम का फातेहा कराते हैं. रविवार को शहर के पुरानी बाजार बंगरा, टेघड़ा, काजी बाजार, पसनौली गंगन, आकील टोला आदि मुहर्रम अखाड़ा कमेटियों ने कुरान खानी, फातेहा खानी का आयोजन किया. वही मोहन बाजार स्थित असफीया अखाड़ा कमेटी की ओर से लंगर आदि का आयोजन किया. इधर दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभिन्न मुहर्रम कमेटियों की ओर से भी कार्यक्रम आयोजित किए गए थे.