- प्रत्येक माह पोषण योद्धाओं की कहानी आईसीडीएस करेगी मीडिया से साझा
- पोषण योद्धा की कहानी से समुदाय तक पहुंचेगी जागरूकता की बयार
- पोषण माह समापन के बाद भी पोषण की लहर चलती रहेगी
छपरा: बुधवार को पोषण माह का समापन हो गया. कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच भी पोषण माह के दौरान पोषण की बयार घर-घर पहुँचती रही. पोषण माह के खत्म होने के बाद भी यह जागरूकता की लहर आगे भी कायम रहेगी. अब पोषण योद्धा अपने हाथों में जागरूकता की कमान थामेंगे. ऐसे तो पोषण योद्धा दिन-रात लोगों को जागरूक करने एवं लाभुकों तक पोषण सेवाओं को पहुँचाने में जुटे हैं. लेकिन इस बार पोषण योद्धाओं के संघर्ष एवं समुदाय में उनके बदलाव लाने के जज्बे की कहानी समुदाय को जागरूक करेगी. पोषण माह के समापन के बाद आईसीडीएस ने नई एवं अनोखी पहल की घोषणा की है. जिसके तहत प्रत्येक माह आईसीडीएस पोषण योद्धाओं की कहानी मीडिया के साथ साझा करेगी.
पोषण माह का अंत नहीं बल्कि यह एक नयी शुरुआत है
आईसीडीएस, बिहार के निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि बुधवार को भले ही पोषण माह का समापन हुआ हो. लेकिन पोषण की मुहिम अभी खत्म नहीं हुयी है. कोरोना संक्रमण के बीच भी लोगों ने पोषण माह में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है, जिसे नए शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि कुपोषण से सुपोषण की तरफ़ जाने वाले रास्तों में कई चुनौतियाँ है, जिसके साथ पोषण योद्धा संघर्ष कर लोगों के लिए सुपोषण के समतल रास्ते बनाने में जुटे हैं. कई ऐसे पोषण योद्धा हैं, जिन्होंने अपने पोषक क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है एवं बदलाव के सूत्रधार भी बने हैं. उनके संघर्षों एवं मेहनत की कहानी लोगों तक पहुंचनी चाहिए. इससे समुदाय में पोषण पर जागरूकता तो बढ़ेगी ही. साथ ही पोषण योद्धाओं का मनोबल भी बढेगा. इसलिए आईसीडीएस ने यह निर्णय लिया है कि मीडिया के साथ प्रत्येक माह पोषण योद्धाओं की कहानी साझा की जाएगी.
बदलाव की कहानी होगी कारगर
बदलाव की कहानी अपने साथ विचारों के आंदोलन को संयोजे रहती है. यदि यही बदलाव किसी सकारात्मक उद्देश्य के लिए हो तो यह जनांदोलन में भी तब्दील होने की क्षमता रखता है. पोषण अभियान का उद्देश्य भी जन भागीदारी को बढ़ाना एवं पोषण को जनांदोलन में तब्दील करना है. पोषण योद्धाओं की कहानी इस दिशा में अहम भूमिका अदा कर सकती है.