✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को संतान प्राप्ति, सुख, समृद्धि और कई जन्मों के पुण्य खत्म ना हो इस कामना से जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इसको लेकर सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। इस दौरान महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा के साथ व्रत करेंगी। साथ ही संतान प्राप्ति व उनकी रक्षा की कामना करेंगी। मान्यता है कि नवमी को ऐसा करने से पर मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।
आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि आंवला नवमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी है। इस दिन दान, जप व तप सभी अक्षय होकर मिलते हैं, अर्थात इनका कभी क्षय नहीं होता हैं। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है। पूजा के बाद इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को द्रव्य, अन्न एवं अन्य वस्तुओं का दान करते हैं। ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं।
ऐसे करें आंवला के वृक्ष की पूजा :
सूर्योदय से पूर्व स्नान कर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत , पुष्प, गंध आदि से पवित्र वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें। उसके उपरांत कथा का श्रवण या वाचन करें। विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से जहां प्रदूषण आदि से शरीर की रक्षा होती है। वहीं परिवार में आरोग्यता व सुख -समृद्धि की वृद्धि होती है। आंवला नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त : सुबह 06:34 से दोपहर 12:04 बजे तक।