परवेज अख्तर/सिवान : जिले के बड़हरिया प्रखंड के कुड़वा बाजार स्थित हनुमान प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के श्रीमद्भागवत गीता कथा में बुधवार को प्रवचन के दौरान आचार्य देवकी नंदन भारद्वाज ने कहा कि महाभारत मे एक प्रसंग आता है कि युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण से लोगो ने पूछा कि पांडवों को विजय दिलाने के लिए अपनी शस्त्र नहीं उठाने की प्रतिज्ञा को तोड़ा है। आखिर आपने ऐसा क्यों किया? तब भगवान श्रीकृष्ण ने बड़ा सुंदर सा जवाब देते हुए कहा कि मेरे लिए कौरव और पांडव दोनों समान हैं, लेकिन मैंने पांडवों को नहीं जिताया बल्कि मैंने हस्तिनापुर को जिताया। मैं जानता था कि कौरवों की तरफ से सभी खराब लोग नहीं थे और पांडव की तरफ सभी अच्छे लोग नहीं थे। यदि कौरव युद्ध जीतते तो सत्ता दुर्योधन के हाथ में चली जाती और वह वहीं करता जो उसके लिए अच्छा होता, लेकिन पांडव युद्ध जीतते हैं तो सत्ता का अधिकार युधिष्ठिर के हाथ में होगा, जिसके लिए स्वयं हित से बड़ा उसके लिए देशहित है। इसलिए मैंने पांडवों को नहीं जिताया बल्कि हस्तिनापुर को जीताया अर्थात देश को जीताया।
पांडवों को नहीं हस्तिनापुर को जीताया : देवकीनंदन
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