पटना: सरकार ने जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत मामले में थानेदार को दोषी करार देते हुए सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन सवाल यही है कि जहरीली शराब मामले में सिर्फ थानेदार ही क्यों बड़े अफसर क्यों नहीं ? यही सवाल बिहार की सत्ता में बड़ी पार्टी बीजेपी भी उठा रही है। बीजेपी अध्यक्ष ने साफ कहा है कि जहरीली शराब मामले में नालंदा के बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए।
बता दें, नालंदा में संदिग्ध परिस्थिति में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है। परिजन शराब पीने से मौत की बात कह रहे हैं। घटना जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली मोहल्ला की है। पटना IG ने सोहसराय थाना अध्यक्ष सुरेश प्रसाद को सस्पेंड कर दिया है। लोगों का कहना है कि जहरीली शराब पीने से मौत का सिलसिला अब तक जारी है। आज भी तीन लोगों की मौत हुई है।
बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि नालंदा जिले में जहरीली शराब से 13 मौतें हो चुकी हैं। परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था। आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 13 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा. क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है। अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए . क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है।
बीजेपी अध्यक्ष इतने भर से नहीं रूके उन्होंने कहा कि दूसरे अपराधी वहां के पुलिस वाले हैं, जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्री होने दी। 10 वर्ष का कारावास इन पुलिस कर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए सस्पेंड करके नया थाना देना जहां वह यह सब काम चालू रख सकें। तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है, जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है। इस को पकड़ना भी बहुत आसान है। इन्हीं पुलिस कर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा। शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं, जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे। जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन, पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा। बीजेपी ने जिस तरह से शराबबंदी को लेकर अपनी सरकार को घेरा है उससे सहयोगी दल जेडीयू बैकफुट पर है।