- ऐसे में अस्थमा के मरीजों का ख्याल रखना बेहद जरूरी
- बिना चिकित्सीय सलाह बाजार से कोई दवा न लें
- अस्थमा रोग के लक्षण मिलने पर तुरंत डाक्टर से सम्पर्क करें
छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच त्यौहारों का सीजन भी शुरू हो गया है। इसके साथ हीं मौसम में भी काफी बदलाव हो रहा है। ऐसे रौशनी का त्यौहार दिपावली नजदीक है। दिपावली में काफी पटाखें छोड़े जाते हैं। जिससे प्रदूषण खतरा बढ सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीजों काफी सतर्क व सजह रहने की जरूरत है। सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने कहा कि शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि फेफड़े सही ढंग से काम करते रहें। क्योंकि फेफड़े हमारे शरीर में फिल्टर का काम करते हैं। बदलते मौसम में लोगों को श्वसन तंत्र से संबंधित कई समस्याएं परेशान करने लगती हैं जिसमें से एक है अस्थमा। सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के हिसाब से अच्छा माना जाता है, लेकिन कुछ खास व्याधियों जैसे अस्थमा, हृदय रोग, कैंसर से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह मौसम कुछ समस्याएं भी लाता है। यदि कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
बदलते मौसम में विशेष रूप से रखें ख्याल
डॉ माधवेश्वर झा ने कहा कि बदलते मौसम एलर्जिक डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। पुराने मरीजों में एलर्जी की तीव्रता बढ़ जाती है। सर्दी में स्मॉग होने से सबसे ज्यादा दिक्कत अस्थमा और टीबी के मरीजों को होती है। ऐसे में उन्हें ख्याल रखने की बहुत जरूरत है। पुराने मरीज इनहेलर बिल्कुल न छोडें। अगर तकलीफ ज्यादा बढ़ रही है तो रिलेवर मेडिकेशन का इस्तेमाल करें। बिना चिकित्सीय सलाह बाजार से कोई दवा न लें। गर्म पानी की भाप लेने से भी आराम मिलता है।
अस्थमा का सटीक इलाज इंहेलर
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने बताया कि अस्थमा रोग के लक्षण मिलने पर तुरंत डाक्टर से सम्पर्क करें। ऐसे मरीजों को इंहेलर से तुरंत रिलीफ मिलता है। इस भ्रांति को दूर करे कि एक बार इंहेलर लेना शुरु कर दिया तो वह जीवन भर इसकी आदत पड़ जाएगी। मरीजों को इंहेलर का प्रयोग करना इसलिए जरुरी क्योंकि दवा सांस के रास्ते जाकर सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है। खाने वाली दवाओं से ज्यादा इंहेलर के बेहतर परिणाम मिलते है।
अस्थमा के लक्षण
सांस लेने में परेशानी होना, कॉफ सिरफ-एंटीबायोटिक लेने के बाद भी खांसी रहना, सीने से सीटी जैसी आवाज आना, सीने में कसावट, सीढ़ियां चढ़ने या तेज चलने पर खांसी शुरु हो जाना, मौसम बदलने में परेशानी का अनुभव होना, ज्यादा हंसने, गुस्सा आने पर खांसी आदि इसका लक्षण है।
क्या है बचाव
- तेज गंध, धूल, धुआं से दूर रहना चाहिए, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, धूम्रपान करने वालों से दूरी बनाए,
- अस्थमा अटैक पड़ने पर कमर सीधी करके बैठ जाए
- सहज-तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें
- कपड़ों को ढ़ीला कर दे
- आराम के लिए डाक्टर द्वारा बताई दवा लें
- दवा लेने के पांच मिनट में आराम नहीं होता है, तो तुरंत डाक्टर को दिखाए