जच्चा-बच्चा के सुरक्षा के लिए पूर्व जांच कराना आवश्यक

0
  • गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य का ख्याल रखने के प्रति जागरूक दिख रही हैं महिलाएं
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हुआ गर्भवतियों का जांच
  • गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार का हुआ वितरण

छपरा: जच्चा बच्चा के सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच कराना आवश्यक है। प्रसव पूर्व जांच से मात्री शिशु मृत्यु दर को कम करने का प्रयास स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया जा रहा है। इसी को लेकर प्रत्येक 9 तारीख को सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत विशेष कैंप का आयोजन किया जाता है। ताकि गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच किया जा सके वह प्रसव के दौरान होने वाले जटिल समस्याओं की पहचान किया जा सके। गर्भावस्था के दौरान अपने स्वास्थ्य का देखभाल के लिए अब महिलाएं भी जागरुक दिखने लगी है कैंप में काफी संख्या में महिलाएं आकर अपना प्रसव पूर्व जांच करा रही है। सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में शिविर लगाकर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी। साथ ही उच्च जोख़िम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया। इस मौके पर गर्भवती महिलाओं को फल व पौष्टिक आहार का भी वितरण किया गया।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जाँच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जाँच के आभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है।

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने का प्रयास

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने की संभावना सबसे अधिक होती है। प्रसव पूर्व जांच में यदि खून की कमी होती है तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है। इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान प्रभावी रूप से सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है एवं इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने में सफलता मिल रही है।

गर्भवती महिलाओं की हुई ये जांच

उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जाँच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जाँच की गयी। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित किया गया एवं बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरुरी परामर्श दिया गया।

कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह नोडल पदाधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने कहा कि प्रसव पूर्व जाँच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी। एनीमिक महिलाओं को हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं गुड खाने की सलाह दी गयी। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी

  • ब्लड टेस्ट
  • यूरिन टेस्ट
  • ब्लड प्रेशर
  • हीमोग्लोबीन
  • अल्ट्रासाउंड

उच्च जोख़िम गर्भधारण के कारण

  • गर्भावस्था में 7 ग्राम से खून का कम होना
  • गर्भावस्था में मधुमेह का होना
  • एचआईवी पॉजिटिव होना(एडस पीड़ित)
  • अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना
  • पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना
  • उच्च रक्तचाप की शिकायत होना

उच्च जोख़िम गर्भधारण के लक्षण

  • पूर्व की गर्भावस्थाओं या प्रसव का इतिहास
  • दो या उससे अधिक बार गर्भपात हुआ हो
  • बच्चा पेट में मर गया हो या मृत पैदा हुआ हो
  • कोई विकृत वाला बच्चा पैदा हुआ हो
  • प्रसव के दौरान या बाद में अधिक रक्त स्त्राव हुआ हो
  • गर्भवती होने से पहले कोई बीमारी हो
  • उच्च रक्तचाप
  • दिल या गुर्दे की बीमारी
  • टीबी या मिरगी का होना
  • पीलिया या लिवर की बीमारी
  • हाइपोथायराइड से ग्रसित होना