परवेज अख्तर/सिवान:
महाराजगंजअनुमडंल सहित ग्रामीण मुस्लिम बहुल इलाकों में ग्यारहवीं शरीफ की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस दौरान घरों में जहां गौसे आजम की फातिहा होगी वहीं दावतों का दौर भी चलेगा. इस माह घर-घर उलेमा मीलाद के तहत गौसे आजम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी सच्चाई का बयान करते हैं. इस्लामिक साल के चौथे महीने रबिउल आखिर की शुरुआत हो गई है. माह की 11 तारीख यानी 26 नवंबर को मुस्लिम बहुल इलाके के घर-घर गौसुल आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह के नाम की फातिहा कराई जाएगी.
अधिकांश घरों में लोग मीलाद कराते हैं जिसमें उलेमा गौसे पाक के बचपन में सच्चाई की कहानी का बयान करते हैं और लोगों को उनकी सच्चाई का हवाला देते हुए उन्हें भी सच्चा बनाने और सच्चाई की राह नहीं छोड़ने की नसीहत देते हैं. इसके बाद दावतों का दौर चलता है. माना जाता है कि दावत करने से गौसे आजम की रहमत से घरों में बरकत होती है. शाही जामा मस्जिद के इमाम मौलाना इसलारुल हक कहते हैं कि गौसे आजम ने अपनी जिंदगी में कभी भी झूठ नहीं बोला. अपने जमाने के वलियों के वली थे। बताया कि उनकी फातिहा और मीलाद कराने से घरों में बरकतों का नुजूल होता है.