रमजान के महीने में हीं कुरान शरीफ नाजिल हुआ: मौलाना हामिद रज़ा समसी

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✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
पचरुखी प्रखंड के तरवारा बाजार स्थित जामिया बरकातीया अनवारूल उलूम के हेडमास्टर मौलाना हामिद रज़ा समसी ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि इस्लाम में रमजान के महीने को सबसे पाक महीना माना जाता है।रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुआ था।माना जाता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं।अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है।मुसलमानों के लिए रमजान महीने की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इन्हीं दिनों पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जरिए अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) यानी जमीन पर उतरी थी।इसलिए मुसलमान ज्यादातर वक्त इबादत-तिलावत (नमाज पढ़ना और कुरान पढ़ने) में गुजारते हैं।

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मुसलमान रमजान के महीने में गरीबों और जरूरतमंद लोगों को ज्यादा से ज्यादा दान देते हैं।दूसरी ओर मौलाना हामिद रज़ा समसी ने कहा कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौंवे महीने रमजान का महीना होता है।जिसमें प्रति वर्ष मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजे रखे जाते हैं।इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह महीना अल्लाह से इबादत का महीना होता है।मान्यता है कि रमजान के अवसर पर दिल से अल्लाह कि बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिशें पूरी होती है।रमजान के मौके पर मुस्लिम समुदायों द्वारा पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं।रोजे रखने का अर्थ वास्तव में सच्चे दिल से ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना होता है।हालांकि वे धार्मिक लोग जिनकी इस दौरान तबीयत खराब होती है।उम्र अधिक होती है,गर्भावस्था के होने तथा अन्य परेशानियां की वजह से रोजे रखने में जो असमर्थ हैं। उन्हें रोजे न रखने की अनुमति होती है।दूसरी ओर वे धार्मिक लोग जो तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर रमजानुल मुबारक के रोजे को नहीं रखता तो वे गुनाहगार के श्रेणी में आ जाते हैं।