50 हजार से अधिक लोगों ने सरयू में स्नान कर किया दान-पुण्य
परवेज अख्तर/सिवान: मकरसंक्रांति के मौके पर शनिवार को सरयू (घाघरा) नदी के नरहन घाट पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। ठंड कम होने से तड़के सुबह से ही श्रद्धालु सरयू में स्नान करने के लिए पहुंच रहे थे। स्नान करने का सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। स्नान करने के बाद तिल, तिलवा और गुड़ छुककर ब्राह्मणों और गरीबों के बीच श्रद्धालुओं ने दान किया। पास के ही मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना भी की। स्नान करने वाले श्रद्धालुओं में सबसे अधिक संख्या महिलाएं थीं। गभीरार में आसपास के कुछ श्रद्धालुओं ने जाकर स्नान किया। अनुमंडल कार्यालय से बीडीओ अशोक कुमार समेत कई पदाधिकारियों की नरहन घाट पर ड्यूटी लगायी गयी थी। दिन चढ़ने के साथ स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी गयी। इधर, स्नान व दान-पुण्य करने के बाद घाट पर ही दही-चूड़ा और तिलवा का लोगों ने अपनों के साथ मिलकर भोग लगाया।
छोटे-छोटे बच्चों ने झूला का लिया खूब आनंद
अपने अभिभावकों के साथ मकरसंक्रांति के मौके पर नरहन में लगे मेले में पहुंचे छोटे-छोटे बच्चों ने झूला झुलकर इसका खूब आनंद लिया। बच्चों की नजर खिलौनों की तरफ भी रही। अभिभावकों से बांसुरी, बैलून और चिड़िया व कार वाले खिलौने खरीदवाने से नहीं चुके। मेले में युवाओं की तादात भी कम न थी। युवक-युवतियां भी अपने हिसाब से समान की खरीदारी करते दिखें। फुटपाथ पर लगे श्रृंगार प्रसाधन की दुकानों से महिलाएं व बच्चियां अपने लिए जरूरी समानें खरीद रहीं थी। कृषि से लेकर सिलाई-कढ़ाई तक के समान मेले में मौजूद थे। समोसे-जिलेबी से लेकर चाट-पकौड़े तक की दुकानें मेले में सजी हुईं थीं। मेले में तोता और खरगोश बेचने और खरीदने वाले भी दिखें।
कई जोड़ों के रिश्ते मेले में किए गए पक्के
सरयू में स्नान के बहाने आए युवक-युवतियों ने एक-दूसरे से तो मिले ही, घरवाले भी लड़का-लड़की को देखने का काम मेले में ही कर लिये। धार्मिक रूप से काफी महत्व वाले इस स्नान के बारे में कहा जाता है कि इसी दिन को देवलोक से देवतागण धरती पर अवतरित होते हैं। आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अंधकार का नाश और प्रकाश का आगमन होता है। सरयू में स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि शाम में घर में खिचड़ी बनती है।