- कृषि विभाग का दावा है कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है। 7 हजार मिट्रीटन यूरिया जिले में उपलब्ध है।
- मौसम के मेहरबान होने से इस बार बेहतर उपज की उम्मीद
- मौसम ने किसानों की किस्मत बदल देने का संकेत दे दिया है
- 55 साल में पहली बार ऐसा अनुकूल मौसम देखने को मिला
- 89 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का था लक्ष्य, हुआ पूरा
परवेज अख्तर/सिवान: इस साल मौसम किसानों पर मेहरबान है। बारिश अच्छी हो रही है, जिससे धान की फसल लहलहा उठी है। खेतों में लहलहाती धान की फसल देखकर किसान गदगद हो उठे हैं। उनके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव साफ झलक रहा है। 55 वर्ष बाद जिले में ऐसा बेहतर मौसम देखने को मिल रहा है। बेहतर इस मायने में है कि समय और आवश्यकता के अनुरूप बारिश होती रही। कृषि विभाग की माने तो इस वर्ष शत-प्रतिशत धान आच्छादन हुआ है। बेहतर मौसम होने के कारण अच्छी फसल होने की उम्मीद है। धान के निकल रहे कल्लों से खेत भर आए हैं। किसान खेतों में यूरिया खाद का प्रयोग तो कर ही रहे हैं, इफको द्वारा निर्मित नैनो यूरिया का छिड़काव भी कई किसान कर रहे हैं। इस साल के बेहतर मौसम ने किसानों की किस्मत बदल देने का संकेत दे दिया है। रोपनी से ऊबर चुके किसान निकाई-गुड़ाई के बाद अब फसल को नीलगाय और दूसरे आवारा पशुओं से धान को बचाने के लिए तत्पर दिख रहे हैं। नियमित बारिश होने से खेतों की नमी बरकरार है। नियमित बारिश की वजह से इस साल किसानों को सिंचाई से मुक्ति मिल गई है। इससे की रोपनी में लागत नियंत्रित हुआ है। जिससे किसान राहत महसूस कर रहे हैं। सिंचाई कार्य के बजट को यूरिया के छिड़काव मद में खर्च कर किसान सकुन महसूस कर रहे हैं। जलजमाव वाले खेतों में पहली बरसात से ही पानी भरा हुआ है। ऊंचाई वाले खेतों में पानी इस साल में देखने को मिल रहा है। कृषि विभाग का दावा है कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है। 7 हजार मिट्रीटन यूरिया जिले में उपलब्ध है।
वर्षों बाद मघा नक्षत्र में हुई है अच्छी बारिश
परशुरामपुर गांव के किसान व शिक्षक शम्भुनाथ राय ने बताया कि वर्षों बाद पहली बार मघा नक्षत्र में अच्छी बारिश हुई है। इस वजह से किसानों को फसल की सिंचाई नहीं करनी पड़ी। मौसम का रूख धान की फसलों के अनुरूप होने से अब चिता भी नहीं है। यहीं स्थिति धान में बाली आने तक बनी रही तो धान की इस साल उत्पादन हर वर्ष की अपेक्षा बेहतर होगी। किसान मुंद्रिका साह का कहना है कि 25 वर्षों से सीवान सूखा का सामना कर रहा था। पिछले तीन सालों से बारिश अच्छी हो रही है। लेकिन, मघा नक्षत्र में पहली बार ही बारिश हुई है। इससे धान के पौधे बेहतर होते गए हैं।
खैरा रोग से बचाव के लिए डाल रहे जिंक
निचले स्तर वाले खेत में पानी लगने से खर-पतवार नियंत्रित हैं। किसान बलिंद्र भगत कहते हैं धान की फसल में कहीं खैरा रोग लग न जय, इसे लेकर यूरिया के साथ जिंक का प्रयोग किया जा रहा है। दुकानों पर यूरिया की इस साल उपलब्धता भी है। इससे किसानों को परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है। सरकारी कीमत पर पहली बार यूरिया खाद मिलने से किसान खुश हैं। हालांकि, जिंक का डिमांड बढ़ने से दुकानदार इसपर 5-10 रुपये अधिक जरूर ले रहे हैं।
मक्का की बुआई में इस साल पिछड़े गए
जिले किसान धन की रोपनी तो बढ़िया से और कम लागत में ही कर लिए। लेकिन, मक्का और अरहर फसल की बुआई करने में पिछड़ गए। विभाग का दावा है कि इस साल भी निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का व 5 हजार हेक्टेयर में अरहर की बुआई हुई है। लेकिन, जमीनी हकीकत इससे दूर है। 5-7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र मक्के की बुआई हो सकी। इसमें से 1-2 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल बारिश के पानी से डूबकर बर्बाद हो गयी। वहीं अरहर की फसल तो देखने को भी नहीं मिल रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पल ने कहा कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है। 7 हजार अभी 7 हजार मिट्रीक टन यूरिया उपलब्ध है। इस साल मौसम बेहतर है, इससे धान की पैदावार भी बेहतर होने की उम्मीद है। किसानों की खुशी से विभाग को प्रसन्नता है।