परवेज अख्तर/सिवान : गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरंन डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि रविवार को जीरादेई स्थित उनके पैतृक आवास परिसर में मनाई गई। सर्वप्रथम बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसका विषय राजेंद्र बाबू आप और हम था। कार्यक्रम का संचालन सांसद प्रतिनिधि लालबाबू प्रसाद ने किया। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी रामबाबू बैठा ने कहा कि राजेंद्र बाबू सादगी, सरलता व त्याग के प्रतिमूर्ति थे जो आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि उनके पदचिह्नों पर चलकर ही सामाजिक सुचिता लाई जा सकती है। जिला परिषद अध्यक्ष संगीता चौधरी ने कहा कि राजेंद्र बाबू राजनीति के देवता हैं, जिनका जीवन दर्शन राजनीतिक सुचिता का पाठ पढ़ाता है। राष्ट्रसृजन अभियान के राष्ट्रीय सचिव ललितेश्वर कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति के पद से राजेंद्र बाबू सुशोभित नहीं हुए बल्कि राजेंद्र बाबू से राष्ट्रपति का पद सुशोभित हुआ। इस मौके पर जेपी आंदोलन के नेता महात्मा भाई, अंचलाधिकारी शुभेंद्र झा, थानाध्यक्ष कैप्टन शाहनवाज, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय पांडेय, प्रो. अभिमन्यु सिंह, विजेंद्र पाठक, राजीव उपाध्याय, प्रदेश अध्यक्ष लेखापाल संघ बिहार के सीबी मिश्रा, रामेश्वर सिंह, गुड्डू प्रसाद, महावीर प्रसाद, हरिकांत सिंह, बालदेव भगत, दिनेश पटेल, जयनाथ ठाकुर, नागेश्वर दास, डॉ. मदन कुमार, डॉ. चंदन कुमार, आशीष प्रसाद, अभय राणा, रणधीर सिंह आदि उपस्थित थे।
सादगी सरलता व त्याग के प्रतिमूर्ति थे राजेंद्र बाबू : एसडीओ
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