परवेज अख्तर/सीवान:- रमजान का महीना गरीबों से हमदर्दी रखने और उनकी सहायता करने का संदेश लेकर देता है। रमजान की फाजिलत बयान करते हुए तरवारा बाजार स्थित मदरसा जामिया बरकातिया अनवारुल उलूम के मौलाना अहमद रज़ा कादरी ने बताया कि रमजान में एक महीने तक प्रतिदिन रोजा रखकर भूख और प्यास की शिद्दत महसूस की जाती है। यह रोजेदारों को गरीबों की भूख और प्यास का एहसास कराती है। उनसे हमदर्दी रखने की शिक्षा देती है। रोजा गरीबों की मदद करने का संदेश देता है। वे भी हमारे ही समाज का हिस्सा है। उनकी सहायता करना हमारा धार्मिक एवं सामाजिक दायित्व है। इससे मुंह मोड़ना अपने फर्ज को अदा करने से पीछे हटना है। अल्लाह ने हमें बेशुमार नेमतों से नवजात है। हमें अल्लाह का शुक्रगुजार बंदा बनकर इन नेमतों में गरीबों बेसहारा लोगों अनाथ-असहाय को शामिल कर सबाब हसिल करनी चाहिए। रमजान में हर नेक काम का सबाब बढ़ जाता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा नेक काम में समय गुजारना चाहिए।
रोजा बुराइयों से बचने की ढाल
रमजान का रोजा गुनाहों से बचाता है। जिस तरह युद्ध में तलवार की वार से ढाल रक्षा करता है। उसी तरह रोजा भी बुराइयों से बचाने के लिए ढाल का काम करता है। यह जहन्नुम की आग से बचान में ढाल की तरह काम करती है। हदीश में आया है कि जब तुम रोजा रखो तो न किसी को बुरा कहो और न किसी से झगड़ा करो। अगर कोई तुम से झगड़ता है या बुरा-भला कहता है तो उससे कह दो कि मैं रोजे से हूं। रोजेदार को बुरी बात सोचने तक से यह बचाता है। हदीश शरीफ में है कि रोजेदारों के बुराइयों से बचना चाहिए। किसी तरह की फजूल बात नहीं करनी चाहिए। गंदी सोच त्याग कर रोजा रखनी चाहिए। रोजे की हालत में किसी से द्वेष-जलन नहीं रखनी चाहिए।
रोजा से आत्म शुद्धि की शक्ति में वृद्धि
रोजा से दिल, दिमाग, आंख, नाक, कान, मुंह यानी पूरे शरीर के सभी अंगों को पूर्ण नियंत्रित रखा जाता है और इस से आत्म शुद्धि की शक्ति बढ़ती है। केवल भूखे-प्यास रहने से रोजा नहीं होता बल्कि अल्लाह की इबादत की नीयत के साथ तमाम बुराइयों से बचाते हुए सुबह से शाम तक का यह उपवास है।
रोजे की हिफाजत करना जरूरी
रोजेदार को अपने रोजा की हिफाजत करनी चाहिए। रोजे की हालत मे खुद को उन चीजों से बचना चाहिए, जिससे रोजा टूट जाता है। रोजा की हालत में नाक-कान में तेल या दवा डालना, आंत में इंजेक्शन के द्वारा दवा पहुंचाना,निर्धारित समय के बाद सेहरी और समय पूर्व इफ्तार कर लेना आदि से रोजा टूट जाता है और इस की भरपाई पुनः इसके बदले रोजा रख कर करनी होती है।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]