बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आरजेडी का प्रदर्शन, तेजस्वी व तेजप्रताप रहे गायब

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पटना: जातीय जनगणना कराने, आरक्षित कोटे से बैकलॉग के लाखों रिक्त पदों को भरने, मंडल आयोग की शेष सभी अनुशंसाओं को लागू करने की मांग के समर्थन में आरजेडी ने शनिवार को बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की पहल पर 7 अगस्त 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा मंडल आयोग की अनुशंसा को लागू करने की घोषणा की गई थी। इसी के आलोक में पार्टी ने यह कार्यक्रम तय किया था।

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राजधानी पटना स्थित आरजेडी कार्यालय से जुलूस निकाला गया। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह समेत पार्टी के कई नेता इसमें शामिल हुए। इनकम टैक्स चौराहे के पास पुलिस ने जुलूस को रोक दिया। इसके विरोध में जगदानंद सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी धरने पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और तेज प्रताप कहीं नहीं दिखे।

पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि धरना से सरकार नहीं मानी तो जेल भरो अभियान चलाएंगे। सरकार की जेल छोटी पड़ जाएगी। मीडिया गलत प्रचारित कर रहा है कि जातीय जनगणना से जात पात को बढ़ावा मिलेगा। पुराना क्रीमीलेयर का जो नियम था, उसको बीजेपी ने बदल कर नया नियम लागू कर दिया है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि राज्यस्तर से जातीय जनगणना कराने का हमलोगों का विकल्प हमेशा खुला रहेगा। लोगों को तो इसका फायदा होगा ही, साथ ही गवर्नेंस को भी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक बार तो जरूर जातीय जनगणना हो जानी चाहिए। यह सबके हित में हैं। हम तो पहले ही सबकुछ बता चुके हैं।

वर्ष 1990 से यह विचार हमलोगों के मन में है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने से समाज में तनाव होगा यह बिल्कुल गलत बात है। इससे तो समाज में खुशी होगी। यह सबकी इच्छा है। अगर कोई यह बोल रहा है तो वह उनका व्यक्ति मामला है। जातीय जनगणना की बात तो अन्य राज्य भी कर रहे हैं। सब जाति के लोग यह चाहते हैं।