परवेज अख्तर/सिवान : पचरुखी प्रखंड के तरवारा बाजार स्थित मदरसा जामिया बरकातिया अनवारुल उलूम के हाफिज व कारी अब्दुल हसीब अशरफी ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजान के महीने में हर आकिल, बालिग व साहेब नेसाब पर सदकाएं फितर वाजिब है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पर अपनी तरफ और अपने बच्चों की तरफ से दो किलो 45 ग्राम गेहूं या चार किलो 90 ग्राम जौ (गल्ला) निकालने या उसकी कीमत देना बेहतर है। सदकाए फितर का हकदार गुरबा व मसाकिन है। दिनी मदारिस से तलबा (छात्र) ज्यादा हकदार है, क्योंकि उससे दिन की अआनत और जखिरए आखेरत है। जकात के सिलसिले में मालिके नेसाब वो शख्स है जो साढ़े 52 तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना का मालिक हो या उनमें से किसी एक की कीमत के समाने तेजारत का मालिक हो, उस पर जकात फर्ज है।
किन-किन चीजों से टूटता है रोजा और वाजिब होता है कजा
कान में तेल डालने या कसदन (जान-बूझकर) कय करना या मुंह भर के आई हुई कय को निगल जाना, कुल्ली करते हुए हलक में पानी चले जाने से रोजा टूट जाता है और कजा वाजिब होती है। बल्कि कफ्फारा नहीं कसदन खाने-पीने और सोहबत करने से रोजा टूट जाता है और कजा व कफ्फारा दोनों लाजिम होते हैं।
किन-किन बातों से रोजा नहीं टूटता
भूल कर खाना-पीना, मच्छर या मक्खी के हलक के अंदर चले जाने से रोजा को नहीं तोड़ता। कान में पानी चला जाना या ख्वाब में गुस्ल की हाजत पढ़ने या आंख में दवा डालने या खुशबू सूंघने या ताजा मिसवाक करने से रोजा नहीं टूटता।
एतेकाफ क्या है
रमजान के आखिरी अशरा में एतेकाफी करना सुन्नतें मो अकेदा है। 20वीं रमजान को सूरज डूबते वक्त एतेकाफ की नीयत से मस्जिद में हो और 30वीं रमजान को सूरज डूबने के बाद या 29वीं रमजान को चांद होने के बाद निकले। ऐ एतेफाक सुन्नतें केफाया है यानी अगर सब लोग तर्क करें तो सबसे मोतालबा होगा और एक ने कर लिया तो सब बरिउज जिम्मा हो गए।
सबे कद्र की फजीलत क्या है
हजरते आइसा सिद्दीकी र. अ. ने कहा कि हुजूर स.अ. ने फरमाया कि रमजान के आखिरी असरा की ताक रातों में सबे कद्र को तलाश करो यानी 21, 23, 25, 27 एवं 29 की रातों में। कुरआन शरीफ में आया है कि सबे कद्र की वो एक रात हजार रातों से अफजल है।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]