डीएम एसपी ने भी लिया जायजा
परवेज अख्तर/गोपालगंज:- अब हम केकरा सहारे जियब ये बाबू,हमार त सब कुछ लूट गईल …इस प्रकार के हृदय विदारक उद्गार सुबह से 7 बजे पतहरा गांव में गूंज रहा था।गांव के गलियों में अन्य दिनों की भांति खामोशी थी।जो व्यक्ति जहां बैठा था वह उदास हो कर यहीं सोच रहा था कि आखिर यह नदी कब तक हमलोगों को अपने गाल में लेती रहेगी।तब तक मृतक अरुण सोनी के दरवाजे पर हम पंहुच चुके थे,दरवाजे पर लोगों की खामोश भीड़ खड़ी थी,इसी बीच घर के भीतर से महिलाओं की हृदयविदारक करुण चीत्कार निकल पड़ी की ” बाबू हमार कहिओ सब्जी तुरे ना जात रहले हा, कल्हिया उनकर मौउअतिया घेर के भेज दिहुये…इस शब्द को सुनते ही खामोश भीड़ भी अपनी सिसकियों को रोकने में असफल रही और सभी अपने आंखों से आंसू पोछने लगे।इसी प्रकार तीनों मृतकों के दरवाजे पर भीड़ लगी थी और सभी लोग परिजनों को समझाने व ढांढस बंधाने में लगे थे।मुहल्ले के अधिकांश घरों में शाम व सुबह में चुल्ला नही जला था।बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे।
आसपास के कुछ लोगों द्वारा भोजन की व्यवस्था की गई थी जिसको बच्चे तो खा रहे थे लेकिन गमों के सागर में गोते लगाने वाले परिवार के बड़ों की भूख व आंखों के आंसू तो मानों सुख चुके हो,मां तो खुली आँखों से जिधर देखती उधर देखती रह जाती,अरुण की मां तो अर्धविछिप्त सी हो गयी है वह दरवाजे पर आने वाले सभी से यही पूछती की अरुण के काहे ना ले के अइले हा…आसपास की महिलाओं के द्वारा परिजनों को समझाया व ढांढस बंधाया जा रहा है।जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए मृतकों के परिजनों को चार चार लाख रुपये का चेक सौप दिया। जो परिजनों के जख्मों पर एक मरहम से ज्यादा और कुछ नहीं है। सनद रहे कि जिले के यादवपुर थाना क्षेत्र के पतहरवा गांव के आठ लोग गत सोमबार के सुबह गंडक नदी के उस पार से सब्जी लेकर आ रहे रहे ।
सब्जी लड़ी नाव जैसे ही बीच मजधार में आई कि हवा का एक तेज झोंका आया व नाव को मोड़ कर नदी के गर्व में लेकर चला गया,जिसपर सवार आठों लोग डूब गए,थोड़ी देर में पांच लोगों ने किसी भी तरह से तैर कर अपनी जान बचा ली,पर दो लड़की व एक लड़का नदी में लापता हो गए।जिनकी मौत हो गयी।एडीआरएफ व स्थानीय गोताखोरों के सहयोग से दो शवों को निकाला जा चुका है पर शव अभी भी नही मीला है।घटना के बाद संध्या में जिलाधिकारी अरसद अजीज,एसपी मनोज कुमार तिवारी भी घटना स्थल का निरीक्षण किए,वहीं आज भी एसडीओ उपेंद्र पाल,एसडीपीओ नरेश पासवान,बीडीओ पंकज कुमार शक्तिधर,सीओ विजय कुमार सिंह घाट पर मौजूद रहे।
नहीं चल सका मोटरयुक्त नाव
लगातार होती दुर्घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार व जिला प्रशासन के द्वारा वर्ष 2010 में ही यहां के घाटों पर मोटरयुक्त नाव चलाने की घोषणा की गई थी,जो आज तक पूरी नहीं हो सकी। इलाके के लोगों का कहना है कि इस नदी में प्रत्येक वर्ष दर्जन भर लोगों की मौत डूबने के कारण होती है,प्रशासन द्वारा मुआवजा तो दे दिया जाता है पर मोटरयुक्त नाव चलाने की बात कोई नहीं करता ताकि लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लग सके।इस घटना के बाद भी ग्रामीणों ने हिरापकड व पतहरा के बीच एक पीपा पुल बनाने की मांग की है,ताकि लोगों को इस पार से उस पर जाने में सहूलियत हो सके।
बगैर निवन्धन की चलती है नावें
गंडक नदी पर कोई भी नाव निवन्धन कराकर नहीं चलती है।सभी नाव भगवान भरोसे ही है।लाखों की आबादी प्रत्येक दिन नदी के उस पार नाव से जलावन,सब्जी,पशुओं का चारा व अन्य सामानों को लाने के लिए जाती है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है प्रत्येक दिन सुबह से शाम तक लोगों से ओवरलोड वाली नावों का आवागमन जारी रहता है सभी नाव ओवरलोड ही होती है।लोग जान कर खतरा मोल लेते है। ग्रामीणों का कहना है वर्ष 1990 तक नावों का अनुवन्ध करवाया जाता था उसके बाद यह बन्द हो गया,जिसके नाविक के बारे में विभाग को जानकारी रहती थी, वर्तमान समय मे सैकड़ों नावों का संचालन लोगों द्वारा किया जा रहा है।
जिसका रजिस्ट्रेशन तो दूर अधिकारियों को इसकी जानकारी तक भी नहीं है,जो घोर आश्चर्यनक विषय बना है।सूत्रों की मानें तो इनसभी दुर्घटनाओं के पीछे लापरवाही से नावों का परिचालन भी मुख्य कारण है। बहरहाल मामला जो हो लेकिन जिला प्रशासन के साथ साथ स्थानीय लगभग 70 गांवों के ग्रामीणों को इस पर ध्यान देना होगा कि नदी में जो भी नाव चले उसका रजिस्ट्रेशन होना आवश्यक हो,ओवर लोडिंग नहीं हो,पूर्ण सावधानी से यात्रा की जाय।साथ ही राज्य सरकार व जिला प्रसाशन को संयुक्त रूप से प्रयास करके यहां एक पीपा पुल अथवा मोटरयुक्त नाव की तत्काल व्यवस्था करनी चाहिये क्योंकि यहां के लोगों की जिंदगी नदी के उस पार के तमाम संसाधनों पर टिकी है।