सिवान में आज पूरे दिन बहनें बांध सकेंगी भाइयों की कलाई पर राखी

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परवेज अख्तर/सिवान: भाई-बहनों के अटूट प्यार का त्योहार रक्षाबंधन 22 अगस्त यानी रविवार को मनाया जाएगा। बहनें अपने भाइयों के लिए मनपसंद राखी की खरीदारी कर रही हैं। यह त्योहार सिर्फ भाई-बहनों के अटूट रिश्ते की प्रेम डोर तक ही सीमित नहीं रह गया है। बल्कि, सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व भी रखता है। क्योंकि, अब यह देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा और हितों की रक्षा के निमित भी बांधी जाने लगी है। यानी इसे आस्था के साथ सम्मान प्रकट करने के तौर पर भी देखा जाने लगा है। यही वजह है कि कोरोना काल में मंदी की दौर से गुजर रहे बाजार में राखी की मांग कम नहीं हुई है। शनिवार को बाजार में हर दुकानों पर राखी खरीदारी को लेकर भीड़ उमड़ी रही।

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शाम 5:31 बजे तक राखी बांधने का है शुभ मुहूर्त

आंदर प्रखंड के पड़ेजी निवासी पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि राखी की तिथि एक दिन पहले यानी 21 अगस्त को ही लग गई है, लेकिन उदया तिथि रहने के कारण 22 अगस्त यानी रविवार को यह त्योहार मनाया जाएगा, क्योंकि उदया तिथि में ही राखी बांधना शुभ होता है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है। बहनों को इस वर्ष भाई की कलाई पर प्यार की डोर बांधने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बहनें पूरा दिन राखी बांध सकेंगी। इसलिए प्रात: 5:30 के बाद पूरे दिन और सायं 5:30 बजे तक राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा। साथ ही कई ऐसे संयोग भी बन रहे हैं, जिससे इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है। सावन माह में रविवार के दिन शनि प्रधान धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन का उत्तम संयोग बन रहा है। सुबह से ही शोभन योग बन रहा है, जिसके चलते इस दिन महादेव के अभिषेक पूजन, ग्रहशांति पूजन व पूर्णिमा पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ जा रही है। इसी दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस बार अत्यंत शुभ संयोग जैसे धनिष्ठा नक्षत्र, शोभन योग, बव करण के साथ सूर्य का सिंह राशि में और चंद्रमा मकर व कुम्भ राशि में होंगे।

मिठाई की दुकानों पर भी उमड़ी रही भीड़

रक्षाबंधन त्योहार को लेकर राखी दुकान के साथ-साथ मिठाई दुकानों पर भी महिला व युवतियों की भीड़ उमड़ी रही। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मिठाई खरीदने के लिए थोड़ी देर इंतजार करना पड़ रहा था। तेज धूप के बीच भी महिला व युवतियां खरीदारी को लेकर बाजार में डटी रहीं। इधर मिठाइयों की मांग बढ़ने के कारण दाम में भी वृद्धि की गई थी। इसका ज्यादा असर पेड़ा व लड्डू पर भी पड़ा है।