✍️परवेज़ अख्तर/सिवान:
राज्य में शराबबंदी के बाद सरकार ने जिस उद्देश्य से सदर अस्पताल के ओपीडी के बगल में नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की थी, वह पिछले दो साल से बंद है। इस केंद्र में कोविड-19 का सैंपल लेने का कार्य किया जा रहा है। नशामुक्ति केंद्र के बंद होने के कारण अब शराब पीने वालों का इलाज नहीं हो रहा है, क्योंकि इसके चिकित्सक की तैनाती ही विभाग द्वारा नहीं की गई है। इस कारण शराब पीने वालों को पुलिस गिरफ्तार कर सीधे जेल भेज रही या फाइन कर छोड़ रही है।
ओपीडी में सामान्य मरीजों की तरह इलाज कर भेज दिया जाता घर
नशा छुड़ाने के लिए मरीज सदर अस्पताल पहुंचते। जहां नशा मुक्ति केंद्र के बंद होने से उनका इलाज ओपीडी में सामान्य मरीजों की तरह किया जाता है। दवा लिखकर उन्हें घर भेज दिया जाता है। अप्रैल में 148 मरीज नशा छुड़ाने के लिए ओपीडी में पहुंचे। इसमें से सात शराब एवं 141 अन्य नशा के मरीज शामिल थे।
अप्रैल 2016 में केंद्र का हुआ था स्थापना
इस केंद्र की स्थापना ही नशा से मुक्ति दिलाने के लिए की गई थी। अप्रैल 2016 में केंद्र को जब खोला गया था तब प्रति माह करीब दस मरीज इलाज को पहुंचते थे, लेकिन चालू करने को लेकर विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। बता दें कि आदतन शराबियों को शराब छुड़ाने के लिए जिला के सदर अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया। शराबियों की इलाज की समुचित व्यवस्था की गई। शुरुआती दौर में इलाज के लिए केंद्र पर काफी संख्या में शराबी पहुंचे।
इलाजरत मरीजों को मिलता था मुक्त खाना, नाश्ता एवं दवा
बता दें कि केंद्र हेतु अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर चिकित्सक एवं कर्मी की प्रतिनियुक्ति कर रखा था। केंद्र में इलाजरत मरीजों को खाना, नाश्ता के साथ साथ दवा भी मुफ्त में दिया जाता था। धीरे-धीरे केंद्र में इलाज कराने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी थी, लेकिन इस केंद्र को धीरे धीरे बंद अनौपचारिक रूप से बंद कर दिया गया।
कहते हैं अधिकारी
अभी उसके चिकित्सक नहीं हैं। इस कारण ओपीडी में इन मरीजों का इलाज किया जाता है।
डा. अनिल कुमार भट्ट सिविल सर्जन, सदर अस्पताल।