परवेज अख्तर/सिवान: जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में गुरुवार को भैया दूज का पर्व भी उत्साह के साथ मनाया गया। माथे पर टीका लगाते हुए बहनों ने भाइयों की सलामती की दुआ मांगी। इसके बाद बहनों ने भाई को बजड़ी खिला भाई को ब्रज होने का आशीर्वाद दिया। मान्यता है कि जो भाई अपनी बहन के यहां बहन द्वारा बनाए गए भोजन करते हैं, वे हमेशा सुखमय होते हैं। यह परंपरा आज भी जीवित है। कई भाइयों द्वारा अपने बहन के यहां भोजन करना तथा बजड़ी के रूप में कच्चा चना, मटर एवं मिठाई खाने के लिए जाते हैं। भाई बहन के प्रेम को सूत्र में पिरोते इस त्योहार को जितना उत्साह बहनों में दिखा उतने ही भाई भी उत्साहित दिखे। वहीं भाइयों ने भी बहनों को स्नेह स्वरूप उपहार दिए।
त्योहार के बिना अधूरा है दीपावली का पर्व :
आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज ने अपनी बहन यमी के घर का रुख किया था, जहां पर यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर उनकी सलामती के लिए दुआ मांगी थी। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगवाता है, वह कभी भी नर्क में नहीं जाता। ऐसा माना जाता है कि दीपावली का पर्व इस त्योहार के बिना अधूरा है। वहीं एक अन्य दंत कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने नारकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था। वहां पर श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दिए जलाकर भाई का स्वागत किया था और तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगी थी। वर्तमान में भी यह प्रथा चली आ रही है।