जिले में प्रखंडस्तर पर टीबी का उपचार व दवा नि:शुल्क उपलब्ध
परवेज़ अख्तर/सिवान: टीबी के खिलाफ लड़ाई को एक जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। जिस तरह से पूरे देश को पोलिया मुक्त किया गया, उसी तरह से टीबी मुक्त करने की भी जरूरत है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता व जनआंदोलन की आवश्यकता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि 2025 तक सारण जिला समेत पूरे देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। कहा कि राज्य सरकार टीबी उन्मूलन की दिशा में हर संभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग नये साधन व तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा और टीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयासरत है।
टीबी से बचाव के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि बच्चों में टीबी की बीमारी नहीं हो, इसके लिए जन्म के समय हीं बीसीजी का टीका लगाया जाता है। इससे बच्चों में टीबी की बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है। किसी बीमारी के खिलाफ बच्चे के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए उसे वैक्सीन दी जाती है।
ऐसे लक्षण दिखे तो जरूर जांच कराएं
बच्चों व व्यस्कों में टीबी बीमारी का लक्षण सामान्य होता है। टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती , इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। पसीना आना, थकावट, वजन घटना, बुखार रहना टीबी के लक्षण हैं ।
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टीबी के समुचित इलाज की नि:शुल्क सुविधा:
डीपीसी टीबी दिलीप कुमार ने कहा कि जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की सुविधा के साथ दवा भी उपलब्ध है। जो दवा निजी अस्पताल में मिलती वही सरकारी अस्पताल में भी मिलती है