- डॉक्टर आलोक ओपीडी के साथ इमरजेंसी भी संभालते हैं
- 03 वर्षों से एक भी मरीज को नहीं मिला है सर्जरी का लाभ
परवेज अख्तर/सिवान: स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जाता है। लेकिन वास्तव में स्थिति इसके विपरित काफी दयनीय है। सदर अस्पताल में टूटी हड्डी लेकर इलाज कराने आए मरीजों की सर्जरी की बात कौन कहे समय से उन्हें पक्का इलाज भी नहीं मिल पाता है। हालांकि विभाग की ओर से इसको लेकर कई कारण गिनाए जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में मरीजों के इलाज को लेकर हड्डी रोग से जुड़ा महज एक ही डॉक्टर आलोक कुमार मौजूद हैं। जिनके कंधों पर ओपीडी और इमरजेंसी की भी जिम्मेवारी सौंपी गयी है। बताया गया कि सप्ताह में तीन दिन ओपीडी और दो दिन इमरजेंसी में डॉक्टर ड्यूटी देते हैं।
कई वर्षों से नहीं हुई है एक भी सर्जरी
अस्पताल सूत्रों की मानें तो सदर अस्पताल में इलाज के लिए आए किसी मरीज टूटी हड्डी की सर्जरी हुए कई वर्ष बीत गए होंगे। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मी ने बताया कि करीब तीन साल से इस अस्पताल में एक भी मरीज के टूटी हड्डी का ऑपरेशन नहीं किया गया है। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल में यदि ऐसी सुविधाएं मौजूद हैं तो भला पीएचसी और सीएचसी का क्या हाल होगा।
क्या कहती हैं सहायक अधीक्षक
सदर अस्पताल की सहायक अधीक्षक डॉक्टर रीता सिंहा ने बताया कि वैसे तो डॉक्टर कई हैं। लेकिन मौजूदा समय में कोई अवकाश पर है तो किसी को विभाग का पदाधिकारी बना दिया गया है। इस कारण इलाज को लेकर सदर अस्पताल में महज एक ही डॉक्टर मौजूद है। इलाज को लेकर अस्पताल आए मरीजों को बेहतर परामर्श दिया जाता है। इमरजेंसी के दौरान संबंधित डॉक्टर के मौजूद होने पर मरीजों को बेहतर इलाज भी मिलता है।