- संयुक्त राष्ट्र एवं आईएलओ द्वारा 10 जून से 17 जून तक मनाया जा रहा सक्रियता सप्ताह
- अदिथि संस्था सीवान एवं गोपालगंज में जरूरत मंद परिवारों का कर रही सहयोग
- विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम “एक्ट नाउ: इंड चाइल्ड लेबर” पर हुयी विस्तार से चर्चा
- कोविड-19 की दूसरी लहर और बाल श्रम तथा तस्करी के उच्च जोखिम को कम करने पर हुई चर्चा
सिवान: संयुक्त राष्ट्र तथा आईएलओ द्वारा 10 जून से 17 जून तक वीक ऑफ एक्शन यानी सक्रियता का सप्ताह मनाया जा रहा है. इस कड़ी में अदिथि तथा ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क द्वारा इस कार्यक्रम को गति देने एवं संबंधित हितधारकों के आपसी सामंजस्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया. इस दौरान अदिथि के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रोहित कुमार ने वर्चुअल मीटिंग के उद्देश्यों को सभी से साझा करते हुए बताया कि सीवान तथा गोपालगंज जिले में बाल श्रम को रोकने के लिए सभी सरकारी ,ग़ैर सरकारी तथा छोटे- छोटे समितियों आपसी समन्वय स्थापित करते हुए सहयोग करना होगा। उन्होंने बताया कि सीवान एवं गोपालगंज जिला बिहार के सीमावर्ती जिलों में शामिल हैं, जिसकी सीमाएं उतर प्रदेश से लगती हैं. इन जिलों के अधिकांश लोग रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों तथा खाङी देशो में पलायन करते हैं.
बाल श्रम को रोकने की दिशा में किए जा रहे हैं प्रयास
गोपालगंज जिला के बाल संरक्षण पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि अदिथि संस्था बच्चों के संरक्षण हेतू अच्छी पहल कर रही है। हमारी टीम अनाथ बच्चों की सूची तैयार कर रही है ताकि उन बच्चों को हम सरकारी योजनाओं का लाभ दे पायें। सीवान के श्रम परवर्तन पदाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि हम सभी अपने जिले में धावा दल द्वारा बच्चों को रेस्क्यू करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि बच्चे अपने जीवन के उचित अधिकारों का लाभ उठा सके। वहीं, सीवन के जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बृजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि हम सभी को मिलकर वर्चुअल मीटिंग करने की बजाय ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
महामारी के कारण वर्ष 2022 तक 90 लाख बच्चे बाल श्रम करने को हो सकते हैं मजबूर
अदिथि की निदेशक परिणीता ने बताया कि बाल श्रम जैसे अति-संवेदनशील मुद्दों पर कार्य करने के लिए सूक्ष्म कार्ययोजना की बेहद जरूरत है, जिसे सभी को एक साथ मिलकर तैयार करने की जरूरत है. प्लान तैयार इसे संबंधित जिलों को सुपुर्द भी करना होगा ताकि हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों को संरक्षित कर सकें. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान जारी लाकडाउन का सीधा असर बच्चों की शिक्षा एवं उनके भविष्य पर पड़ा है. जिन परिवारों के पास महामारी के दौर में रोजगार नहीं हैं और वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी में धकेलने के लिए मजबूर भी हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि आईएलओ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि कोविड- 19 महामारी के कारण साल 2022 तक करीब 90 लाख बच्चों को बाल श्रम में झोके जाने की संभावना है. अगर उन्हें समुचित सामाजिक संरक्षण नहीं मिला तो यह संख्या 4.6 करोड़ तक पहुँच सकती है.
अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक अदिथि ने किए कई सार्थक प्रयास
परिणीता ने बताया कि अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक यानी विगत 6 महीनों में सीवान एवं गोपालगंज के लक्षित कार्यक्षेत्र के सभी 40 गाँवों में 800 सामुदायिक चैपियन का चयन एवं बाल श्रम रोकथाम के लिए उनका उन्मुखीकरण किया गया है. साथ ही संबंधित ग्राम के सामुदायिक आधारित अन्य समूहों जैसे की जीविका समूह किशो- किशोरी समूह का बाल श्रम के रोकथाम हेतु उन्मुखीकरण किया गया है. अभी वे स्वतंत्र रूप से बाल श्रम एवं तस्करी के रोकथाम हेतु प्रयासरत है. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था ने सीवान’ एवं गोपालगंज के अपने कार्यक्षेत्र से 1372 अति-जरूरतमंद परिवारों को चिन्हित किया है तथा उन्हें राहत कार्यक्रम एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विगत 6 महीनों में उनकी संस्था के सहयोग से लक्षित गाँवों के 521 अति-जरूरतमंद परिवारों का मनरेगा जॉब कार्ड बनवाया गया है. वहीं, 973 बच्चो का विद्यालय में नामांकन सहित 151 परिवारों को जीविका तथा 3 परिवारों को मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना सरीखे रोजगार परक कार्यक्रमों से जोड़ने में सफलता मिली है.