- बैंकों के राष्ट्रीयकरण से देश के व्यापारियों, नौजवानों व किसानों को सुविधाएं मिलती है वह नहीं मिलेगी
- निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों का फूटा गुस्सा
- सरकार की निजीकरण नीतियां बैंकर्स के लिए समस्या
- 01 सौ 75 राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखाएं रही बंद
- 06 सौ से अधिक जिले के बैंककर्मी हड़ताल पर
परवेज अख्तर/सिवान: राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी गुरुवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। जिले में करीब 175 राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखाओं के करीब छह सौ से अधिक बैंककर्मी हड़ताल पर रहे। इससे पहले ही दिन 100 करोड़ का बैंकिंग कार्य प्रभावित रहा। निजीकरण के विरोध में बैंक हड़ताल का असर बैंकिंग सेवाओं पर भी पड़ा। बैंकों में जमा निकासी चेक, चेक क्लीयरिंग व ओवर ड्राफ्ट जैसे सभी कार्य प्रभावित रहे। इस बीच यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आहृन पर राष्ट्रीयकृत बैंकों में हड़ताल के पहले दिन ताला लटका रहा। इस कारण से खातेदारों को वापस लौटना पड़ा। बैंक अधिकारी व कर्मियों ने निजीकरण का विरोध करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। कहा, बैंकों का निजीकरण अच्छी पहल नहीं है। सरकार की निजीकरण नीतियां आने वाले दिनों में बैंकर्स के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इधर, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के तत्वाधान में शहर केनरा बैंक के सामने सभी राष्ट्रीयकृत बैंक अधिकारी व कर्मियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यूनियंस के अध्यक्ष कलीमुल्लाह ने आक्रोश जताते हुए कहा कि सरकार राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करके देश की जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है। मगर राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण का खेल नहीं चलने वाला। बैंकों के राष्ट्रीयकरण से देश के व्यापारियों, नौजवानों व किसानों को सुविधाएं मिलती है वह नहीं मिलेगी। निजी होने से बैंकों में खाता खोलने के लिए पांच से दस हजार रुपये जमा करने पड़ेंगे। जो कि सरकारी बैंकों में सिर्फ एक हजार रुपए से खुलता है। कहा कि मांगे पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। मौके पर कैनरा बैंक के संजय कुमार श्रीवास्तव, आसीन उर्फ मुन्ना, अभिजीत कुमार, अरविन्द कुमार, बीके यादव, ओम प्रकाश यादव, एसबीआई के अली अब्बास, अशोक, अमित कुमार सिंह, सुशील कुमार, बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक सरोज कुमार प्रियदर्शी, बैंक ऑफ इंडिया की माधुरी कुमारी, मधु कुमारी, विनीता विक्टर, नेहा कुमारी, स्मिता, बिंदु कुमारी, स्वाति कुमारी, रेनू कुमारी व पूजा कुमारी थीं।
शौक नहीं मजबूरी है, राष्ट्रहित में हड़ताल जरूरी है
सेंट्रल बैंक के अधिकारी व कर्मी भी अपने मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद किए। बैंक के मुख्य द्वार पर बैंक कर्मियों ने शौक नहीं मजबूरी है, राष्ट्रहित में हड़ताल जरूरी है के नारे लगाए गए। यूनियंस के महासचिव बिहार सुभाष कुमार ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। मौके पर रिजनल सेक्रेटरी आफिसर एसोसिएशन रितेश कुमार सिंह, सीवान ब्रांच के ज्वाइंट सेक्रेटरी मिथिलेश कुमार, रिजनल ऑफिस के रोहित कुमार, निशांत कुमार, डीएवी ब्रांच के मनोरंजन राय, सीवान ब्रांच के दिनेश प्रसाद व चंदू कुमार समेत अन्य कर्मी हड़ताल में शामिल रहे।
हड़ताल से बैंक उपभोक्ताओं को उठानी पड़ी परेशानी
बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर गए बैंक कर्मियों के कारण बैंकों में सन्नाटा पसरा रहा। वहीं बैंक कर्मियेां के हड़ताल पर जाने से लेन-देन भी प्रभावित रहा। इस कारण से बैंक उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ी। विभिन्न कारणों से रुपये निकालने गए बैंक उपभोक्ता अपने ही एकाउंट से रुपये नहीं निकाल सके। जिन लोगों को हड़ताल की जानकारी थी, वह तो बैंक नहीं आए लेकिन लेकिन ग्रामीण इलाके के उपभोक्ता परेशान दिखे। कारण कि उनको हड़ताल की जानकारी नहीं थी। जानकारी के आभाव में बैंक पहुंचे उपभोक्ता गेट पर ताला लटका देख मायूस होकर लौट गए।