सरकार कर सकती है विवेकाधिकार का प्रयोग
परवेज अख्तर/सिवान: राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए मंडल कारा में बंदियों के बीच शनिवार को “आजीवन कारावास की सजा में समय पूर्व रिहाई ” विषय पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव एनके प्रियदर्शी में बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को समय पूर्व रिहा करने का प्रावधान है. परंतु यह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रियाओं के अनुरूप तथा सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है.इसका लाभ देने के प्रक्रिया में कैदियों के जेल अवधि के सभी रेकॉर्ड एवम आचरण का पूर्ण विश्लेषण किया जाता है एवम लम्बी प्रक्रिया एवम न्यायालय के आदेश से गुजरना होता है.
इसलिये सभी आदमी को चाहिए कि वो अपने जीवन के किसी भी परिथिति में अपने आचरण एवम व्यवहार में अनुशासन का पूर्ण ख्याल रखे.जागरूकता जागरुकता शिविर को सम्बोधित करते हुए पैनल एडवोकेट डॉ विजय कुमार पांडेय ने कहा कि कारा में अवरुद्ध होने का अर्थ अपराधी होना नहीं है.हमे न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा रखते हुए अपने आचरण पर कड़ी निगरानी एवम आत्मवलोकन करना चाहिए.अनुशासन हमे समाज में एक आदर्श नागरिक के रूप में प्रतिस्थापित करता है. काराधीक्षक संजीव कुमार ने समयपूर्व रिहाई के शासनिक एवम विभागीय प्रावधानों पर वन्दियों का ध्यान आकृष्ट किया.कार्यक्रम में पैनल एडवोकेट संगीता सिंह, एवम लीगल क्लीनिक के एडवोकेट अनिल कुमार ने भी अपने अपने विचार रखे.कार्यक्रम का संचालन पैनल एडवोकेट डॉ विजय कुमार पांडेय ने किया वही धन्यवाद ज्ञापन जेलर के के झा ने किया.