परवेज अख्तर/सिवान: जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में चित्रांश समाज के लोगों द्वारा कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा श्रद्धा भक्ति से गुरुवार को की जाएगी। पूजा की तैयारी जोरों पर है। चित्रांश समाज के लोग इस पूजा को ले जोर-शोर से जुटे रहे। इसको लेकर शहर के चित्रगुप्त नगर स्थित चित्रगुप्त मंदिर का नए सिरे से साफ-सफाई की जा रही है। घरों में पूजा करने के बाद चित्रांश समाज के लोग यहां आकर सामूहिक रूप से चित्रगुप्त पूजा करते हैं। इस दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। चित्रगुप्त पूजा समिति के अध्यक्ष पंडित रामेश्वरी प्रसाद उर्फ छोटे बाबू, सचिव अवधेश कुमार श्रीवास्तव, उप सचिव अजय कुमार सिन्हा, सदस्य अरुण कुमार सिन्हा, विंध्वासिनी प्रसाद, सुनील कुमार सिन्हा, हरिनारायण सिन्हा आदि ने बताया कि गुरुवार की दोपहर से भगवान चित्रगुप्त पूजा सामूहिक रूप से की जाएगी, इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
अध्यक्ष ने बताया कि जिले में 1922 में 17 नवंबर को भगवान चित्रगुप्त की पहली पूजा की गई थी। स्थायी मंदिर नहीं होने के कारण अन्य मंदिर में पूजा की जाती थी, लेकिन 1947 में मंदिर की अपनी जमीन होने के बाद से चित्रगुप्त नगर में ही पूजा-अर्चना शुरू की जाती है। सचिव अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह पूजा साक्षरता की प्रतीक है। कायस्थ समाज के अलावा अन्य कोई भी शामिल हो सकता है। उन्होंने बताया कि पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाएगा। सदस्य सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि परंपरा के अनुसार अपने समाज में वर्ष भर कोई ना कोई पर्व-त्योहार मनाया जाता रहता है, लेकिन चित्रगुप्त पूजा संभवतः एक ऐसा त्योहार है, जिसे किसी जाति विशेष के लोग ही मनाते हैं। ज्ञात हो कि गोवर्धन पूजा के बाद चित्रांश समाज द्वारा अपने इष्टदेवता भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर सुखमय जीवन की कामना करते हैं।