परवेज अख्तर/सिवान: सिवान के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नवम अभिषेक कुमार की अदालत ने गुरुवार को पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा शहाब की धमकी एवं जानलेवा हमले के मामले में विस्तृत सुनवाई करते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जमानत याचिका खारिज होने की सूचना मिलते ही ओसामा के समर्थकों में मायूसी छा गई। इसके पूर्व गुरुवार को वरीय अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा द्वारा जमानत याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा एवं उनके सहयोगी हरिशंकर सिंह द्वारा ओसामा को निर्दोष बताया गया तथा राजनीतिक विद्वेष के चलते उसे फंसाए जाने को लेकर प्राथमिकी कराए जाने की बात कही।
उन्होंने अपने बहस में यह भी स्पष्ट किया कि प्राथमिकी परस्पर विरोधाभासी है तथा पुलिस की डायरी भी ओसामा शहाब को कहीं से दोषी नहीं पाती है। ऐसी स्थिति में ओसामा के राजनीतिक कैरियर को देखते हुए जमानत प्रदान कर दी जानी चाहिए। अभियोजन पक्ष की ओर से एपीओ वीरेंद्र प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध किया और न्यायालय से स्पष्ट किया कि आरोपित ऊंचे रसूख वाला व्यक्ति है तथा कई मामले में आरोपित भी है। उसके द्वारा धमकी दिए जाना तथा गोलीबारी आदि की घटनाओं को पुलिस ने अपनी डायरी में समर्थन किया है। ऐसे में जमानत दिया जाना कहीं से भी उचित नहीं होगा।
अभियोजन एवं बचाव पक्ष को सुनने के पश्चात अदालत ने ओसामा शहाब की जमानत याचिका को निरस्त कर दिया। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि वह शीघ्र ही आदेश की प्रति प्राप्त होने के पश्चात ऊपरी अदालत में जमानत हेतु निवेदन करेंगे। बता दें कि नगर के बनिया टोला निवासी अभिषेक कुमार उर्फ जिम्मी ने अपनी भूमि पर चारदीवारी कराए जाने के समय ओसामा शहाब एवं उनके शागिर्दों द्वारा फायरिंग किए जाने एवं धमकी दिए जाने को लेकर हुसैनगंज थाने में प्राथमिकी कांड संख्या 249/23 कराई है। हुसैनगंज पुलिस ने बुधवार को ओसामा शहाब को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ओसामा शहाब को न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए मंडल कारा में भेजे जाने का आदेश पारित कर दिया था।