- जेल में बंद कुल तीस बंदी करेंगे छठ व्रत
- व्रतियों में दो मुस्लिम महिलाएं हैं शामिल
परवेज अख्तर/सिवान: जिला जेल में चार वर्षों से भी अधिक समय बंद बांग्लादेशी बंदी रीना खातून इस वर्ष भी छठ व्रत रखेगी। जेल में आने बाद अपनी मन्नते पूरी करने को लेकर रीना कई वर्षों से लगातार छठ व्रत कर रही है। इस बार भी वह व्रत को लेकर काफी उत्सुक है। इसको लेकर उसने जेल प्रशासन को सूचित भी कर दिया है। जेल प्रशासन ने बताया कि कई कांडों में आरोपित रीना खातून को एक कांड में करीब तीन वर्ष की सजा सुनाई गयी थी। उसकी सजा की अवधि पूरी हो गयी है बावजूद इसके दूसरे कांड में अब भी वह जेल में है। जेल अधीक्षक संजीव कुमार ने बताया कि जेल में बंद कुल 21 महिलाएं और 09 पुरुष बंदी इस बार छठ व्रत करेंगे। 21 महिलाओं में से दो मुस्लिम महिलाएं हैं। बांग्लादेशी रीना खातून भी उन्हीं में से एक है। जबकि दूसरी महिला बंदी रूखशाना खातून जो कई वर्षों से छठ व्रत रखती है।
जेल प्रशासन छठ व्रतियों का रखता है पूरा ख्याल
जेलर कृष्णा झा ने बताया कि जेल के बंदी चाहे किसी धर्म से ताल्लुक रखते हों, उनके साथ सदव्यवहार किया जाता है। जेल के कायदे कानून के दायरे में रहकर उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं। विशेषकर पर्व त्यौहारों में आस्था रखने वाले बंदियों के भावनाओं का विशेष ख्याल रखा जाता है। उनके पूजा-पाठ की सामग्री के साथ ही खाने-पीने के लिए फल व दूध की भी भरपूर व्यवस्था की जाती है।
एक बंदी की फांसी की सजा हो चुकी है माफ
कहते हैं कि मजहबी दिवारें यू ही नहीं टूटती, इसके पीछे जरूर कोई विशेष कारण होता है। जिला जेल में भी एक बार ऐसा वाक्या हो चुका है जब ईश्वर में आपार श्रद्धा रखने वाले एक फांसी का सजावार बंदी को रिहाई मिली। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 को जिला जेल में एक मुस्लिम बंदी का प्रवेश हुआ। इसके एक साल के भीतर ही न्यायालय ने उसे फांसी की सजा सुना दी। इधर बंदी सावन के पवित्र महीने में प्रत्येक सोमवार को शिव का आराधना करने लगा। भक्ति में लीन बंदी की जानकारी मिलते ही जेल प्रशासन ने उसके खाने पीने के लिए फल व दूध का इंतजाम कराया। इधर समय बीतता गया और 2021 में एक ऐसा समय आया जब उसकी कम उम्र के कारण फांसी की सजा से उसे मुक्त कर दिया गया।