परवेज अख्तर/सिवान: शहर स्थित जेडए इस्लामिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग में रविवार को भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की जयंती मनाई गई। जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए शासी निकाय के सचिव जफर अहमद गनी ने कहा कि भिखारी ठाकुर समन्वय के प्रतीक थे। सामाजिक समरसता में उनका विश्वास था। उनका विचार आज भी प्रासंगिक है। इस मौके पर हिंदी विभाग के प्रो. अशोक प्रियंवद ने कहा कि भिखारी ठाकुर ने धर्म और संस्कृति की आड़ में पनप रही सामाजिक विसंगतियों, जातीय भेदभाव एवं पाखंड के विरुद्ध जन आंदोलन का सूत्रपात किया था जो वाचिक और देशज परंपरा से जुड़ी हुई थी। दुर्भाग्य से आज का सांस्कृतिक वातावरण ऐसे विचार के लिए दमघोंटू साबित हो रहा है।
प्रो. जितेंद्र वर्मा ने इस अवसर पर प्रस्तुत अपने शोध पत्र में कहा कि वे समाज सुधार के पक्षधर थे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नाहिदा खातून ने कहा कि उनके साहित्य में नारी जीवन के दुख की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने बेमेल विवाह, बाल विवाह, विधवा विवाह तथा सामंती उत्पीड़न की सिसकियों को स्वर दिया है। उन्होंने रंगमंच के स्थापित मानदंडों को तोड़ कर उसे जनोन्मुख स्वरूप प्रदान किया। समारोह में प्रो. शौकत अली खान, प्रो. तारिक महमूद खान, प्रो. आनंद भूषण, प्रो. विवेकानंद पांडेय, तौहिद अंसारी, छात्रा नुसरत जहां, किरण कुमारी, समीमा खातून, आलिया परवीन, शबनम खातून, निकिता कुमारी, सानिया आदि ने भी अपना विचार व्यक्त किया। समारोह का संचालन प्रो. सेराज खान और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुरेंद्र कुंवर ने किया।