- हड़ताली सफाई कर्मियों ने प्रधान सचिव का किया पुतला दहन
- शहर में गंदगी का अंबार देख लोग है दहशत में
✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
पिछले एक सप्ताह से चल रहे नगर परिषद के सफाई कर्मियों का हड़ताल सांतवे दिन भी जारी रहा और हड़ताल के कारण पूरे शहर में कचरे का अंबार लगा हुआ है.जिससे शहर के हर चौक चौराहों पर लोगों को कचरे के अंबार से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बताते चलें कि शहर के जेपी चौक से लेकर दरबार सिनेमा, बड़ी मस्जिद, शांति वटवृक्ष, डीएवी मोड़,बबूनिया रोड स्थित चिकटोली मोड़ सहित प्रमुख स्थानों पर कचरा पॉइंट बनाया गया है. जहां कचरे का अंबार लगा हुआ है.जिससे पूरे इलाके में कचड़े की दुर्गंध और उससे हो रहे हैं प्रदूषण से शहरवासी सहित आने जाने वाले राहगीर भी प्रभावित हो रहे हैं. बताते चलें कि बड़ी मस्जिद के पीछे जिस जगह पर है कचरा गिराया जाता है वहां के व्यवसायियों की माने तो उनका रहना मुहाल हो गया है. एक तरफ जहां वायरल फीवर से बचाव के लिए सरकार तरह-तरह के उपाय और लोगों को जागरूक कर रहे हैं.
वहीं दूसरी और पूरे शहर में कचरे से लोग परेशान हैं शहर की स्थिति क्या है जिधर देखो उधर कचरा ऐसे में कब तक सरकार इन सफाई कर्मियों की मांगों को सुनती है या इन पर विचार विमर्श करती है यह तय नहीं हैं. शुक्रवार को नगर परिषद के नाराज कर्मियों ने प्रधान सचिव आनंद किशोर का जेपी चौक पर पुतला दहन किया है. पुतला दहन का नेतृत्व कर रहे मजदूर यूनियन जिलाध्यक्ष अमित कुमार गोंड ने बताया की पूरे बिहार के नगर निकाय के कर्मचारी 11 सूत्री मांगो को लेकर सातवां दिन भी पूरे बिहार में हड़ताल जारी रखा है. उसी के समर्थन में सीवान नगर परिषद के कर्मी भी हड़ताल जारी रखा है उन्होंने यह भी बताया की सरकार किसी की भी आ रही है जा रही है पर सफाई कर्मियों का सभी लोग शोषण ही कर रहे है. इनके बारे में कोई भी सरकार नही सोच नही रही है.
ये लगातार वर्षो से अपनी मांगों को मांग रहे है पर सरकार हर बार आश्वाशन देती है और हड़ताल तुड़वा लेती है. फिर कर्मचारियों को अनदेखा कर देती है. इस महंगाई के दौर में हमारे संविदा कर्मियों को मात्र आठ हजार मिलता है जिससे इनका गुजारा नहीं चल पाता है. जहा दो दिन हड़ताल होता है तो पूरा शहर कचड़ा फैलने और बीमारी बढ़ने का डर सताने लगता है और वहीं हमारे सफाई कर्मी प्रति दिन शहर के लोगो के द्वारा फैलाया गया. कचड़ा में रहते है और साफ करते है ताकि शहर स्वास्थ्य रहे पर सफाई कर्मी बीमार हो जाय या मर जाय तो कोई पूछने वाला नहीं है. इनका ना ही कोई जीवन बीमा है ना ही कोई स्वास्थ्य बीमा है और तो और इनके द्वारा किए गए मेहनताने को भी समय पर नहीं दिया जाता है. स्थाई कर्मियों को न एसीपी का लाभ मिल रहा है न सातवां वेतन मिल रहा है. कुल मिला के कहे तो सरकार किसी का भी आए जाए पर दलित कमजोर गरीब का कोई सोचने वाला नहीं है. जो समाज के लिए एक दुखद संदेश है जो हम सभी बर्दास्त नहीं करेंगे.