- नवंबर में पांच तो दिसंबर में बजेगी सात दिन तक बजेगी शहनाई
- 24 नवंबर को तुलसी विवाह के बाद शुरू होंगे शादी-विवाह
परवेज अख्तर/सिवान: देव उठनी एकादशी यानी कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर को है, यानी चार माह बाद भगवान नारायण योग निंद्रा से जागृत होंगे। वहीं 24 को तुलसी विवाह के साथ ही विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। वहीं शुभ लग्नों के आगमन की आहट से माहौल भी लगनौत होता दिखने लगा है। इसके साथ ही शादी-विवाह की तैयारियां तेज हो गई है। वहीं देवोत्थान एकादशी को लेकर भक्तों ने तैयारी भी पूरी कर ली है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चर्तुमास में हर साल शुभ कार्यों का आयोजन वर्जित रहता है। वहीं देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भक्त मृत्युोपरांत विष्णु लोक को प्राप्त करता है। पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इस एकादशी के व्रत को करने का तो अपना महत्व है ही, इस दिन सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं, क्योंकि भगवान विष्णु अपनी शैया से जागते ही भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आतुर रहते हैं।
उन्होंने बताया कि वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रवेश होने के बाद ही विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन व यज्ञोपवित संस्कार तथा अनेक मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। विवाह स्थलों में शहनाइयों की गूंज और रौनक छाएगी। वहीं दिसंबर में खारमास लगने से एकबार फिर सगाई-शादी जैसे शुभ कार्यों पर पुन: रोक लगा जाएगी। ऐसे में लोग शादी-विवाह के अलावा गृहप्रवेश के लिए चर्तुमास खत्म होने तक इंतजार करना होगा। 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादियों के 12 दिन शुभ हैं। इन 12 दिनों में ही बैंड, बाजा और बारात निकालने की तैयारी करनी होगी। जानकारी के अनुसार नवंबर में शादी विवाह के पांच मुहुर्त हैं, जबकि दिसंबर में भी नौ शुभ मुहुर्त में शहनाइयां बजेंगी। नवंबर में शादी के लिए 23 नवंबर, 24 , 27 , 28 और 29 नवंबर को विवाह के शुभ दिन हैं। इसी तरह दिसंबर में सात दिन विवाह के लिए शुभ माने गए हैं। ये दिन 5 दिसंबर, 6 दिसंबर, 7 दिसंबर, 8 दिसंबर, 9 दिसंबर, 11 दिसंबर और 15 दिसंबर हैं।